प्रेरक मोतीः क्लेयरवो के सन्त बर्नार्ड (निधनः सन् 1153 ई.)
वाटिकन सिटी, 20 अगस्त सन् 2013:
मठाध्यक्ष एवं कलीसिया के आचार्य सन्त बर्नार्ड
का जन्म फ्राँस के बुरगुण्डी स्थित एक कुलीन परिवार में हुआ था। अपने धर्मपरायण माता
पिता की छत्रछाया में बाल्यकाल से ही उनमें धर्म, विश्वास और नैतिक मूल्यों के बीज आरोपित
हो गये थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा फ्राँस के शातिलोन स्थित काथलिक महाविद्यालय में हुई थी
जहाँ वे अपनी धर्मनिष्ठा, मनोयोग एवं मनन चिन्तन के लिये विख्यात हो गये थे। शातिलोन
में ही बर्नार्ड ने दर्शन, ईशशास्त्र एवं पवित्र धर्मग्रन्थ का अध्ययन किया। अपनी माता
के निधन के बाद, संसार के प्रलोभनों के डर से, वे नवस्थापित सिस्टरशियन धर्मसमाज में
भर्ती हो गये। अपने भाइयों तथा मित्रों को भी उन्होंने इसी पथ के अनुसरण हेतु प्रोत्साहन
दिया।
सन् 1113 ई. में, लगभग 30 युवाओं सहित बर्नार्ड ने स्वतः को शितो स्थित
मठ के पवित्राध्यक्ष सन्त स्टीवन के समक्ष प्रस्तुत किया। भक्ति और धर्मोतेसाह के साथ
अपना प्रशिक्षण काल व्यतीत करने के उपरान्त उन्होंने मठवासी जीवन के शपथें ग्रहण की।
आध्यात्मिक जीवन में बर्नार्ड की प्रशंसनीय प्रगति को देखकर मठाध्यक्ष ने, 12 युवा मठवासियों
के साथ, उन्हें एक नये मठ की स्थापना के लिये भेज दिया। यही मठ बाद में विख्यात क्लेयरवो
या कियारावाल्ले के मठ रूप में प्रतिष्ठापित हुआ। बर्नार्ड इस मठ के प्रथम मठाध्यक्ष
नियुक्त किये गये तथा अपने सक्रिय जीवन के परिणामस्वरूप 12 वीं शताब्दी के इतिहास के
उत्कृष्ट मठाध्यक्ष कहलाये।
प्रभु की महिमा के लिये मठाध्यक्ष बर्नार्ड ने कई
मठों की स्थापना की, कई प्रेरितिक यात्राएँ की तथा कई धार्मिक कृतियों की रचना की। कई
बार उनके समक्ष धर्माध्यक्ष बनने का प्रस्ताव रखा गया किन्तु उन्होंने उन सभी प्रस्तावों
को ठुकरा दिया। अपनी धर्मनिष्ठा के कारण दूर दूर तक बर्नार्ड विख्यात हो गये थे यहाँ
तक कि सन्त पापाओं के भी परामर्शक बन गये थे। द्वितीय क्रूस युद्ध के योद्धाओं के समक्ष
प्रवचन करने हेतु सन्त पापा यूजीन तृतीय के आदेश का पालन करते हुए बर्नार्ड ने फ्राँस
तथा जर्मनी में दूर दूर तक यात्राएँ की थी। इस अभियान की असफलता के कारण कई लोग बर्नार्ड
के विरोधी भी हो गये थे किन्तु बर्नार्ड ने इसे धर्मयोद्धाओं के पापों का परिणाम बताया।
बर्नार्ड को चमत्कारों का वरदान प्राप्त था, प्रार्थना प्रेरिताई एवं चंगाई के लिये भी
वे विख्यात थे। 20 अगस्त, 1153 ई. को, क्लेयरवो या कियारावाल्ले के बर्नार्ड का निधन
हो गया था। उनका पर्व 20 अगस्त को मनाया जाता है।
चिन्तनः बाईबिल पाठ,
मनन-चिन्तन तथा सतत् प्रार्थना द्वारा हम भी सत्य एवं ईश्वर की खोज करें।