रीमिनीः रिमिनी मीटिंग को सन्त पापा फ्राँसिस ने भेजा शुभकामना सन्देश
रीमिनी, 19 अगस्त, सन् 2013 (सेदोक): इटली के रीमिनी नगर में जारी मैत्री सम्मेलन के
प्रतिभागियों से सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि मानव कलीसिया का मार्ग है। रीमिनी
नगर में, 18 से 24 अगस्त तक, 34 वाँ अन्तरराष्ट्रीय मैत्री एवं सद्भावना सम्मेलन है जारी
है जिसमें वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने ने सन्त पापा फ्राँसिस की ओर
से एक सन्देश प्रेषित कर मैत्री सम्मेलन के प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक मंगलकामनाएँ
व्यक्त की हैं। रीमिनी के धर्माध्यक्ष फ्राँचेस्को लामबियासी के नाम प्रेषित सन्देश
में कार्डिनल बेरतोने ने मैत्री सम्मेलन के विषय "मानव आवश्यकता" पर चिन्तन किया। उन्होंने,
सन्त पापा की ओर से स्मरण दिलाया कि सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने अपने विश्व पत्र रिडेम्तोर
होमिनिस में लिखा है कि "मानव कलीसिया का मार्ग है।" उन्होंने कहा कि यह सत्य आज भी समसामयिक
है। उन्होंने कहा, "अधिकाधिक वैश्वीकृत, वरचुएल या परोक्ष, धर्म के प्रति उदासीन
एवं सन्दर्भ बिन्दुओं से रहित आधुनिक युग में कलीसिया को आमंत्रित किया जातात है कि वह
अपने मूलभूत मिशन की पुनर्खोज करे तथा सुसमाचार की उदघोषणा के लिये नये मार्गों को खोजे।" सन्देश
में कहा गया, "मनुष्य भले ही समाज में अपने लिये कैसी भी छवि बनाये या कैसी भी छवि सांसारिक
सत्ता उसपर थोपे, सच तो यह है कि मनुष्य एक रहस्य है। वह स्वतंत्रता एवं कृपा का रहस्य
है, निर्धनता एवं विशालता का रहस्य है।" उन्होंने स्पष्ट किया, "मानव इसलिये कलीसिया
का मार्ग है क्योंकि इस मार्ग से स्वयं ईश्वर होकर गुज़रें हैं। आदि-मानव से लेकर, बाईबिल
इतिहास के अन्तराल में, आज तक, ईश्वर मानव को ढूँढ़ते रहे हैं तथा देहधारण द्वारा उन्होंने
मानव के प्रति उत्कंठा को अभिव्यक्ति दी है। अस्तु, प्रभु येसु ख्रीस्त कलीसिया का प्रमुख
मार्ग हैं और चूँकि, येसु प्रत्येक मनुष्य के मार्ग भी हैं, मनुष्य कलीसिया का प्रथम
एवं मूलभूत मार्ग बन जाता है।" उन्होंने कहा कि अपनी दृष्टि और अपना मन प्रभु येसु
पर लगाये बिना हम कभी भी मानव रहस्य को बुद्धिगम्य नहीं कर सकेंगे।