सन्त स्टीवन महान का जन्म, लगभग सन् 977 ई. में,
हंगरी राज्य के एस्तरगोम नगर में हुआ था। जन्म से उनका वाज़्क था। उनके पिता गेज़ा, हंगरी
के राजकुमार थे तथा उनकी माता सारोल्त, हंगरी स्थित ट्रान्ससिलवानिया के कुलीन पुरुष
गिउला की सुपुत्री थीं।
सन् 997 ई. से सन् 1000 तक वाज़्क यानि स्टीवन हंगरी
के लोगों के महान राजकुमार तथा सन् 1000 से 1038 तक हंगरी के सम्राट रहे थे। उनका लालन-पालन
ख्रीस्तीय घराने में हुआ था इसलिये बचपन से ही उनमें ख्रीस्तीय धर्म के जड़ें मज़बूत
हो गई थीँ। सन् 996 ई. में राजकुमार स्टीवन का विवाह बावेरिया के ड्यूक हेनरी द्वितीय
की बेटी से हो गया था जिसके बाद से उन्होंने अपने शासनकाल का अधिकाधिक समय ख्रीस्तीय
धर्म के प्रोत्साहन में व्यतीत किया था।
कलीसियाई नेताओं को राजकुमार स्टीवन
का भरपूर समर्थन मिला जिससे हंगरी में जगह जगह अनेक गिरजाघरों निर्माण हो सका। परमधर्मपीठ
के विशेषाधिकारों के वे प्रस्तावक थे। ख्रीस्तीय धर्म का विरोध करनेवाले ग़ैरविश्वासियों
की क्रान्ति को भी राजकुमार स्टीवन ने शान्त किया था। उनके इन्हीं प्रयासों के चलते सन्
1000 ई. में हंगरी के राजा रूप में उनका अभिषेक कर दिया गया था।
सन्त पापा सिलवेस्टर
द्वितीय के कर कमलों से उन्होंने क्रूस एवं मुकुट ग्रहण किया। स्टीवन का मुकुट एवं उनका
राजचिन्ह, हंगरी देश के, प्रतीक बन गये तथा सम्पूर्ण हंगरी में स्टीवन हंगरी के आदर्श
ख्रीस्तीय राजा रूप में सम्मान के पात्र बने। सन् 1083 ई. में सन्त पापा ग्रेगोरी सप्तम
ने राजा स्टीवन को सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था। सन्त स्टीवन हंगरी के
संरक्षक सन्त हैं। उनका पर्व 16 अगस्त को मनाया जाता है।
चिन्तनः
सतत् प्रार्थना द्वारा प्रभु येसु ख्रीस्त में हम अपने विश्वास को सुदृढ़ करें तथा अपने
दैनिक जीवन में सुसमाचार के साक्षी बनें।