2013-08-13 09:40:20

ईश्वर का प्यार दैनिक जीवन की हर छोटी बात को अर्थपूर्ण बनाता है


वाटिकन सिटी, सोमवार 12 अगस्त 2013 (सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस गिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 11 अगस्त को देवदूत प्रार्थना से पूर्व उपस्थित भक्त समुदाय को संबोधित कर संत पापा फ्राँसिस ने कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इस रविवार का सुसमाचार पाठ ख्रीस्त के साथ मिलने की दृढ़ इच्छा के विषय में बोलता है, एक ऐसी चाह जो हमारी आत्मा को हमेशा जागरूक रखती है। हमें क्यों इस मुलाकात का इंतजार पूरे मन और दिल से करना है? क्योंकि ख्रीस्तीय जीवन का यही मूल पहलू है। चाहे प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष हम सब के दिल में छिपी एक चाह है।
येसु की इस शिक्षा को उनके अस्तित्व की ठोस पृष्ठभूमि में देखना महत्वपूर्ण है। सुसमाचार लेखक संत लूकस येसु को अपने चेलों के साथ येरूसालेम की यात्रा करते हुए प्रस्तुत करते हैं। अपनी मृत्यु एवं पुनरुत्थान के रहस्य को पूरा करने हेतु आगे बढ़ते हुए येसु शिष्यों को शिक्षा दे रहे हैं तथा भरोसे के साथ अपने दिल के गहरे मनोभाव को व्यक्त कर रहे हैं। सांसारिक वस्तुओं से अनासक्ति तथा पिता ईश्वर की दया पर भरोसा रखना उन्हीं मनोभावों में से हैं। वास्तव में आंतरिक जागरूकता, ईश्वर के राज्य के निमित्त सक्रिय प्रतीक्षा है। येसु की आशा है कि वे पिता के घर वापस लौटें साथ ही साथ हमें भी उस अनन्त भोज के सहभागी बनाना चाहते हैं जैसा कि उन्होंने अपनी पवित्र माँ मरियम के साथ, उन्हें स्वर्ग में उदगृहित कर किया।
सुसमाचार बताना चाहता है कि ख्रीस्तीय लोग वे हैं जो अपने ईश्वर एवं भाई ख्रीस्त के साथ मिलने की एक तीव्र एवं गहन इच्छा को अंतरमन में लेकर चलते हैं। इसी संदर्भ में येसु अपने शिष्यों को शिक्षा देते हैं, "जहाँ तुम्हारा ख़ज़ाना रखा रहेगा, वहीं तुम्हारा हृदय भी होगा।(लूक.12:34) हृदय चाह रखता है एवं हम सब की एक इच्छा होती है। किन्तु उन गरीब लोगों का क्या जिन्हें क्षितिज की ओर आगे बढ़ने की कोई इच्छा नहीं होती है। हम ख्रीस्तीयों के लिए यह क्षितिज है येसु जो जीवन एवं खुशी से हमारा साक्षात्कार कराते तथा हमें आनन्द प्रदान करते हैं।
संत पापा ने लोगों के सामने दो प्रश्नों को रखा: पहला, "क्या आप के पास येसु से मिलने की चाह रखने वाला हृदय है? अथवा सुषुप्त, बंद एवं जीवन की स्थिति से चेतन शून्य हृदय है? दूसरा सवाल, आपका ख़ज़ाना कहाँ है जिसको आप पसंद करते हैं? क्योंकि येसु हमें बतलाते हैं: जहाँ आपका ख़ज़ाना है वहीं आपका हृदय भी होगा।"
संत पापा ने कहा, "हम अपने आप से पूछे, कि वास्तव में मेरे लिए क्या अधिक महत्वपूर्ण है, मूल्यवान है तथा मेरे हृदय को चुम्बक की तरह आकर्षित करता है? आपके हृदय को क्या आकर्षित करता है? क्या यह ईश्वर का प्यार है जो आपको दूसरों की भलाई के लिए प्रेरित करता है, ईश्वर तथा अपने भाइयों के लिए जीने का उत्साह देता है? आप में से कुछ यह भी कह सकते हैं कि मैं काम करता हूँ, मेरा परिवार है तथा परिवार चलाना ही मेरा सबसे महत्वपूर्ण काम है। अवश्य, सच है कि यह महत्वपूर्ण है किन्तु वह कौन सी ताकत है जो परिवार को एक बनाये रखती है? निश्चय ही वह ताकत प्यार है तथा जो हमारे हृदय में प्यार बोता है वह ईश्वर है। ईश्वर का प्यार जो दैनिक जीवन की हर छोटी बात को अर्थपूर्ण बनाता तथा जीवन की कठिन चुनौती का सामना करने का बल देता है। यही मानव का वास्तविक ख़ज़ाना है। ईश्वर द्वारा बोये गये प्यार से जीवन में आगे बढ़ना। किन्तु ईश्वर का प्यार क्या है? ईश्वर का प्यार कोई अस्पष्ट एवं साधारण अनुभव नहीं है वरन् उसका एक नाम और चेहरा है; येसु ख्रीस्त। ईश्वर का प्यार येसु में प्रकट हुआ क्योंकि हम हवा या कोई अन्य वस्तु को प्यार नहीं कर सकते किन्तु व्यक्ति से प्यार करते हैं। वह व्यक्ति जिसे हम प्यार करते हैं वह है येसु, हमारे लिए पिता का महान वरदान। प्यार ही है जो सब कुछ को अर्थ एवं सुन्दरता प्रदान करता है, परिवार, कार्य, अध्ययन, मित्रता एवं सभी मानवीय गतिविधियों में बल प्रदान करता है। इतना ही नहीं नकारात्मक अनुभवों को भी अर्थपूर्ण बना देता है क्योंकि यह हमें अनुभवों के परे, बुराईयों के बंधन से मुक्त होकर आशावान जीवन की ओर अग्रसर करता है। ईश्वर के महान वरदान प्रभु येसु हमारे लिए आशा के द्वार खोलते हैं उस क्षितिज तक जहाँ हमारे तीर्थयात्रा का अंतिम पड़ाव है। इस प्रकार थके एवं गिरे हुए को भी पुनः रास्ता मिल जाता है। यहाँ तक कि हमारे पाप भी ईश्वर के प्यार में महत्व रखते हैं क्योंकि ईश्वर का प्यार येसु हमें निरंतर क्षमा प्रदान करते हैं।
संत पापा ने असीसी की संत क्लारा के पर्व के अवसर पर उन्हें याद करते हुए कहा कि उन्होंने असीसी के संत फ्राँसिस के पद चिन्हों पर चल कर सब कुछ का परित्याग किया तथा गरीबी को अपनाते हुए अपना जीवन ख्रीस्त को समर्पित किया। संत क्लारा आज के सुसमाचार का बहुत सुन्दर उदाहरण हैं।
संत क्लारा एवं कुवाँरी मरियम की मध्यस्थता द्वारा संत पापा ने प्रार्थना की कि हम अपनी बुलाहट को जीने में सक्षम हो सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया।
देवदूत प्रार्थना का पाठ समाप्त करने के बाद उन्होंने कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो,
बृहस्पतिवार के दिन स्वर्गोदग्रहण महापर्व है। जिस दिन हम माता के, येसु के पास स्वर्ग जाने की याद करते हैं।
संत पापा ने मुसलमान भाइयो को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं सभी मुसलमान भाइयो का अभिवादन करता जिन्होंने रमादान महीने के अंत होने का त्योहार मनाया है। जो ख़ासकर उपवास, प्रार्थना एवं दान देने का समय है। जैसा कि मैंने पत्र में लिखा था कि नई पीढ़ी को शिक्षा देने के द्वारा ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों के बीच आपसी सम्मान की भावना में वृद्धि को प्रोत्साहन मिले।
तत्पश्चात् संत पापा ने उपस्थित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा सभी राष्ट्रों में सुसमाचार के प्रचार का उनसे आग्रह किया।
अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगल कामना प्रदान की।









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