अपनी आराम की स्थिति से बाहर आकर विश्वास की घोषणा करें, संत पापा प्राँसिस
वाटिकन सिटी, बुधवार 7 अगस्त 2013 (एशिया न्यूज़): "विश्वास एक महान वरदान है जो हमें
प्रदान किया गया है एवं हम इसे अपने तक सीमित नहीं रख सकते हैं। यह अतिआवश्यक है कि हम
अपनी आरामदायक स्थिति से बाहर आकर विश्वास की घोषणा अन्य देशों में करें।" उक्त बात संत
पापा फ्राँसिस ने ‘विश्व मिशन दिवस 2013’ के संदेश में कहा जो 20 अक्तूबर को मनाया जायेगा।
उन्होंने अपने संदेश में विश्व के विभिन्न हिस्सों के उन सभी ख्रीस्तायों की याद
की जो प्रकट रूप से अपने विश्वास को ज़ीने में कठिनाई महसूस करते एवं कानूनी हक़ के साथ
ज़ीने का आनन्द उठा नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा, "हमारे भाई-बहनें जो एक साहसी गवाह
दे रहे हैं, उन प्रारंभिक कलीसिया के शहीदों से भी अधिक जिन्होंने प्रेरितिक दृढ़ता के
साथ तत्कालीन अत्याचारों का सामना किया था। ख्रीस्त के सुसमाचार की घोषणा हेतु विश्वस्त
रहने के ख़ातिर वे अपने जीवन तक की परवाह नहीं करते।" संत पापा ने कलीसिया की प्रेरितिक
कार्यों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "कलीसिया के बिना, ख्रीस्त की घोषणा नहीं की
जा सकती है। सुसमाचार प्रचार एक पृथक या निजी कार्य नहीं है अपितु हमेशा कलीसियाई है।"
कलीसिया की प्रेरितिक भावना कोई ‘धर्मांतरण’ नहीं किन्तु जीवन का साक्ष्य है जो अख्रीस्तीयों
के बीच आशा और प्रेम का मार्ग प्रशस्त करता एवं विश्वास के उत्साह और आनन्द को प्राप्त
करना तथा बाँटना चाहता हैं। ऐसे समय में ज़रूरत है एक दिव्य प्रकाश की जो उनका मार्गदर्शन
करे, जिसे सिर्फ ख्रीस्त प्रदान करते हैं। आइये हम संसार में विश्वास प्रदत्त आशा एवं
प्यार के वाहक बनें। विदित हो कि हर वर्ष 20 अक्तूबर को ‘विश्व मिशन दिवस’मनाया
जाता है।