2013-08-01 10:23:58

रोमः समुदाय एवं कलीसिया के साथ मिलकर काम करने का सन्त पापा फ्राँसिस ने येसुधर्मसमाजियों को दिया सन्देश


रोम, 01 अगस्त सन् 2013 (सेदोक): रोम के येसु महागिरजाघर में बुधवार, 31 जुलाई को, येसु धर्मसमाज के संस्थापक, लोयोला के सन्त इग्नेशियस के पर्व दिवस पर, सन्त पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित कर अपने येसुधर्मसमाजी बन्धुओं को सन्देश दिया।
इस अवसर पर सन्त पापा ने "जेसुइट" अर्थात् येसु धर्मसमाजी होने का मर्म समझाया। उन्होंने कहा कि "येज़ुस होमीनिस साल्वातोर" येसु धर्मसमाजियों का आदर्श वाक्य है जिसका अर्थ है येसु मानव के मुक्तिदाता। उन्होंने कहा कि यह आदर्श वाक्य येसु धर्मसमाज के प्रत्येक सदस्य को अनवरत येसु ख्रीस्त की केन्द्रीयता का स्मरण दिलाता है।
सन्त पापा ने कहा कि लोयोला के सन्त इग्नेशियस ने अपनी आध्यात्मिक साधनाओं में भी इसी विषय को प्रकाशित किया कि प्रभु येसु ख्रीस्त ही हमारे मुक्तिदाता है इसलिये सम्पूर्ण येसु धर्मसमाज एवं उसके प्रत्येक सदस्य का केन्द्रबिन्दु प्रभु येसु ख्रीस्त हैं। उन्होंने कहा, "यही वास्तविकता येसुधर्मसमाजियों को अपने आप से बाहर निकलकर अन्यों की सेवा हेतु प्रेरित करती है।"
उन्होंने कहा कि येसु धर्मसमाजियों को अपने आप से, स्वप्रेम, स्वेच्छा एवं स्वयं की अभिरुचियों से बाहर निकल कर विश्व की सेवा हेतु तत्पर रहना है, यही उनकी बुलाहट और उनका मिशन है। तथापि, उन्होंने कहा कि इस मिशन की पूर्ति हेतु येसुधर्मसमाज के किसी भी सदस्य को अलग रहकर नहीं अपितु धर्मसमाज एवं कलीसिया के साथ संलग्न रहकर अपने दायित्वों का निर्वाह करना चाहिये।
सन्त पापा ने कहा येसु धर्मसमाज के सदस्यों को सदैव, "कलीसिया में मूलबद्ध व्यक्ति होना चाहिये क्योंकि ऐसा ही प्रभु ख्रीस्त ने चाहा है। इसमें अलग अथवा समरूप जीवन की गुँजाईश नहीं। खोज एवं निर्माण महत्वपूर्ण है, अपनी परिरेखा से बाहर जाने की ज़रूरत है किन्तु सदैव समुदाय के अन्तर्गत तथा कलीसिया के साथ रहकर।"
ख्रीस्तयाग समारोह के उपरान्त सन्त पापा ने सन्त इग्नेशियस तथा सन्त फ्राँसिस ज़ेवियर की वेदियों के समक्ष घुटने टेककर प्रार्थना की तथा फादर पेद्रो आरुप्पे की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। बाद में येसु धर्मसमाज के विश्वाध्यक्ष फादर अडोल्फो निकोलस तथा धर्मसमाज के कुछेक प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के उपरान्त सन्त पापा फ्राँसिस पुनः वाटिकन लौट आये।








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