प्रेरक मोतीः लोयोला के सन्त इग्नेशियस (1491-1556 ई.)
वाटिकन सिटी, 31 जुलाई सन् 2013:
लोयोला के सन्त इग्नेशियस का जन्म, स्पेन में,
1491 ई. में हुआ था। वे बास्क प्रान्त के शाही परिवार के स्पानी सामंत एवं योद्धा थे।
सन् 1537 ई. में, वे, पुरोहित अभिषिक्त हुए थे जिन्होंने येसु धर्मसमाज की स्थापना की
थी तथा जिसके वे प्रथम धर्मसमाज अध्यक्ष भी थे। प्रति सुधारवादी काल में इग्नेशियुस एक
धार्मिक नेता रूप में उभरे थे। काथलिक कलीसिया के प्रति उनका समर्पण, काथलिक कलीसिया
के परमाध्यक्ष के अधिकार पर, उनकी निर्विवाद आज्ञाकारिता में प्रकाशमान हुआ।
सन्
1521 ई. में पामप्लोमा की लड़ाई में गम्भीर रूप से घायल हो जाने के बाद उनका मनपरिवर्तन
हुआ। सेक्सनी के लूडॉल्फ द्वारा रचित "दे वीता क्रिस्ती", ने इग्नेशियुस को अपने पूर्व
सैन्य जीवन के परित्याग तथा ईश्वर की सेवा हेतु जीवन समर्पित करने के लिये प्रेरित किया।
असीसी के सन्त फ्राँसिस उनके आदर्श बने तथा उनके जीवन चरित से प्रभावित होकर इग्नेशियस
ने अपने आध्यात्मिक जीवन को मज़बूत बनाया। प्रार्थना, आध्यात्मिक साधना तथा बाईबिल पाठ
में वे अपना अधिकाधिक समय व्यतीत करने लगे। इसी बीच, सन् 1522 ई. के मार्च माह में उन्होंने
मोनसेर्रात में मरियम तीर्थ पर कुँवारी मरियम एवं बालक येसु के दिव्य दर्शन प्राप्त किये।
तदोपरान्त वे मनरेसा गये जहाँ की एक गुफा में, वे, दिन में, सात घण्टे प्रार्थना में
व्यतीत कर दिया करते थे। इसी दौरान उन्होंने आध्यात्मिक साधना के मौलिल सिद्धान्तों की
रचना की। सन् 1523 ई. के सितम्बर माह में लोयोला के इग्नेशियस पवित्र भूमि की तीर्थयात्रा
पर गये जहाँ वे सदा के लिये बस जाना चाहते थे किन्तु वहाँ के फ्राँसिसकन धर्मसमाजियों
ने उन्हें पुनः यूरोप भेज दिया।
सन् 1524 ई. से सन् 1537 ई. तक इग्नेशियस ने
पहले स्पेन और फिर फ्राँस में ईशशास्त्र एवं लैटिन भाषा का अध्ययन किया। सन् 1534 ई.
में यूरोप में चली प्रॉटेस्टेण्ट विरोधी प्रतिसुधारवाद की लहरों की चपेट में फ्राँस भी
आ गया था जिसके चलते जॉन कैलविन को फ्राँस से भागना पड़ा। इग्नेशियस तथा उनके कुछेक अनुयायियों
ने अकिंचनता, ब्रहम्चर्य एवं आज्ञाकारिता की शपथ ग्रहण की तथा सन् 1539 ई. में येसु समाज
या येसु धर्मसमाज की आधार शिला रखी जिसे सन् 1540 ई. में सन्त पापा पौल तृतीय का अनुमोदन
मिला। सन् 1548 ई. में इग्नेशियस द्वारा आध्यात्मिक साधना हेतु रचित नियमों को भी अनुमोदन
मिल गया। इसी समय लोयोला के इग्नेशियस ने येसु धर्म समाज के संविधान की भी रचना की। 31
जुलाई, सन् 1556 ई. को लोयोला के इग्नेशियस का निधन हो गया। लोयोला के इग्नेशियस को सन्
1609 ई. में धन्य तथा सन् 1622 में सन्त घोषित किया गया था। सन् 1922 ई. में सन्त पापा
पियुस 11 वें ने लोयोला के सन्त इग्नेशियस को समस्त आध्यात्मिक साधनाओं के संरक्षक सन्त
घोषित किया था। लोयोला के सन्त इग्नेशियस का पर्व 31 जुलाई को मनाया जाता है। सन्त इग्नेशियस
सैनिकों, येसु धर्मसमाज तथा स्पेन के बास्क प्रान्त के संरक्षक सन्त हैं।
चिन्तनः
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