2013-07-28 16:31:45

हृदय विश्वास की भूमि है वचन को हृदय में प्रवेश करने, खिलने एवं बढ़ने दें


वाटिकन सिटी, रविवार, 28 जुलाई 2013 (सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने ग्वारातीबा के कैम्पस फिदेई में शनिवार 27 जुलाई को, रात्रि जागरण प्रार्थना के दौरान, विश्वा युवा दिवस के युवाओं को संबोधित कर कहा, "विश्वास की भूमि आपके हृदय में विरूपित की गयी है जिसमें ईश्वर खेती करना चाहते हैं।"
‘कैम्पस फिदेई’ सिर्फ एक भौगोलिक स्थल नहीं वरन विश्वास की भूमि है यह आपका हृदय है स्वयं आपका जीवन है जिसमें येसु अपने वचनों के द्वारा प्रवेश करना चाहते हैं। ख्रीस्त एवं उनके वचन को अपने हृदय में प्रवेश करने, खिलने एवं बढ़ने दें।"
संत पापा फ्राँसिस ने असीसी के संत फ्राँसिस का उदाहरण देते हुए उन्हें ख्रीस्तीय जीवन का आदर्श कहा। ख्रीस्त ने कलीसिया की मरम्मत करने के लिए उन्हें बुलाया था। संत फ्राँसिस ने समझा कि उनका बुलावा न सिर्फ एक पत्थर निर्मित घर का मरम्मत करना किन्तु अपने जीवन द्वारा कलीसिया के निर्माण में मदद करना था। आज संत फ्राँसिस की तरह सभी युवाओं को ख्रीस्त अपना अनुसरण करने एवं कलीसिया में मिशनरी बनने के लिए बुला रहे हैं।
संत पापा ने खेत की छवि को तीन प्रकार से प्रस्तुत किया, बीज बोने का स्थान, प्रशिक्षण का मैदान एवं निर्माण स्थल।
मानव हृदय एक खेत की तरह है जहाँ ईश्वर अपने वचन रूपी बीज बोते हैं। हम किस प्रकार के खेत हैं? किस प्रकार के क्षेत्र बनना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि हम कई बार रास्ते के समान ईश वचन को अपने जीवन में परिवर्तन लाने नहीं देते हैं तथा विभिन्न कठिनाईयों से दबकर अधिक फल उत्पन्न करने में असफल हो जाते हैं। हमें धारा के विपरीत तैरने का साहस नहीं है तथा नकारात्मक सोच ईश वचन को हमसे छीन लेता है। संत पापा ने प्रोत्साहन देते हुए कहा, आज मुझे पूर्ण विश्वास है कि बीज अच्छी भूमि पर पड़ रहा है। क्योंकि आप एक अच्छी भूमि हैं।
संत पापा ने अच्छी भूमि को अंशकालिक ख्रीस्तीय, छिछला या दिखावटीपन से अलग बताया। उन्होंने कहा,"ख्रीस्तीयता का मुखौटा धारण न करें, वास्तविक ख्रीस्तीय बनें, अपने हृदय में ईश्वर को बीज बोने के लिए कहें। झूठी स्वतंत्रता, आधुनिक फैशन एवं प्रिय सिद्धांतों से धोखा न खायें। सच्चाई, अच्छाई एवं भलाई को बुलंद बनाए रखने के लिए अपना लक्ष्य ऊँचा रखें।
संत पापा ने खेत की दूसरी छवि को एथलेटिक प्रशिक्षण मैदान से तुलना की। उन्होंने कहा कि ख्रीस्त का शिष्य होना फुटबॉल टीम में प्रवेश करने की तरह है। जिसमें अनुशासन एवं प्रशिक्षण दोनों की आवश्यकता पड़ती है।
संत पौलुस के पत्र के अनुसार एथलीट या खिलाड़ी कई चीजों से अपने आप को वंचित रखता है जिससे कि वह पत्तियों के ताज को प्राप्त कर पायें जो शीघ्र मुरझाता है। येसु हमें अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल विश्व कप से कहीं बड़ा ताज प्रदान करते हैं। वे हमें परिपूर्ण एवं फलदायक जीवन प्रदान करते हैं तथा अपने साथ अनन्त जीवन के सहभागी होने का अवसर प्रदान करते हैं। किन्तु उससे पूर्व हमें अपने आप को प्रशिक्षित करना एवं उस लायक बनाना है जिससे कि हम जीवन की हर परिस्थिति का सामना साहस पूर्वक करते हुए अपने विश्वास की साक्षी दे सकें। ख्रीस्त के विजयी खिलाड़ी होने के लिए हमें आध्यात्मिक अभ्यास की आवश्यकता है। हम प्रार्थना में ईश्वर से वार्तालाप करते हैं। हमें ईश्वर से प्रतिदिन वार्तालाप करने के लिए समय ढूँढना है। संस्कारों को ग्रहण करना एवं एक- दूसरे को प्यार करना है। दूसरों को सुनने, समझने, क्षमा करने, स्वीकार करने एवं मदद करने के द्वारा उन्हें प्यार करते हैं।
खेत तीसरे छवि को निर्माण स्थल बताते हुए संत पापा ने कहा, ईश्वर कलीसिया का निर्माण जीवित पत्थर से करते हैं। येसु हमें कलीसिया का निर्माण करने को कह रहे हैं एक छोटा प्रार्थनालय के समान नहीं किन्तु एक बड़े गिरजा घर के समान, जिसमें सभी स्थान पा सकें।
येसु हम सभी को कह रहे हैं "जाओ और सभी राष्ट्रों को शिष्य बना लो।" आज हम ख्रीस्त को ‘हाँ’ कहें। प्रत्येक व्यक्ति न्यायोचित एवं भाईचारे की भावना को धारण कर बेहत्तर समाज के निर्माण को सम्भव बनाता है।
संत पापा ने अन्त में कहा, "प्रिय मित्रो, यह कभी न भूलें कि आप विश्वास की खेत, ख्रीस्त के खिलाड़ी तथा एक सुन्दर कलीसिया एवं बेहत्तर समाज के निर्माण के लिए बुलाये गये हैं। माता मरिया सुन्दर कलीसिया एवं बेहत्तर दुनिया के निर्माण में हमारी आदर्श हैं। हम माता मरिया के साथ कहें ‘तेरी इच्छा पूरी हो’।








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