2013-07-28 12:07:57

रियो दे जानेरोः ब्राज़ील में सन्त पापा ने जनजतियों के पक्ष में उठाई आवाज़


रियो दे जानेरो, 28 जुलाई सन् 2013 (सेदोक): ब्राज़ील में सन्त पापा फ्राँसिस ने जनजातियों के पक्ष में अपनी आवाज़ बुलन्द की।
विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ब्राज़ील में अपनी सात दिवसीय यात्रा के अन्तिम चरण में पहुँच चुके हैं। काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित 28 वें विश्व युवा दिवस के समारोहों का नेतृत्व करने 22 जुलाई को सन्त पापा रोम से ब्राज़ील की राजधानी रियो दे जानेरो के लिये रवाना हुए थे। रविवार को रियो के कोपा कबाना समुद्री तट पर विश्व के युवा प्रतिनिधियों के लिये ख्रीस्तयाग समारोह, विश्व युवा दिवस के आयोजकों एवं स्वयंसेवकों के साथ मुलाकात के उपरान्त सन्त पापा ब्राज़ील से विदा लेकर रोम की वापसी यात्रा आरम्भ करेंगे। सोमवार 29 जुलाई को सन्त पापा फ्राँसिस ब्राज़ील की प्रेरितिक यात्रा सम्पन्न कर पुनः रोम लौटेंगे। मार्च माह में कलीसिया के परमाध्यक्ष नियुक्त सन्त पापा फ्राँसिस की यह पहली अन्तरराष्ट्रीय यात्रा है।
अपनी एक साप्ताहिक यात्रा के उपान्तिम दिवस अर्थात् शनिवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने रियो दे जानेरो महानगरीय रंगभवन में राजनीति, व्यापार, उद्योग एवं संस्कृति जगत के लगभग पाँच हज़ार नेताओं एवं प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया। अपने सन्देश में उन्होंने एमाज़ोन जंगलों में निवास करती आई जनजातियों एवं पर्यावरण की सुरक्षा का आह्वान किया। पारम्परिक परिधान धारण किये, ब्राज़ील के उत्तरपूर्वी बाहिया राज्य की देशज जाति के एक दल ने इस अवसर पर सन्त पापा केका आदर सत्कार किया तथा सिर पर धारण की जानेवाली पारम्परिक पगड़ी भेंट स्वरूप उन्हें अर्पित की। इसी समारोह में श्वेत वस्त्र पहने बच्चों के एक दल ने भी सन्त पापा को गुलदस्ते प्रदान कर सादर उनका अभिनन्दन किया।
राजनीतिज्ञों, व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति जगत के विशेषज्ञों को इस अवसर पर सन्त पापा ने "बहिष्कार एवं भेदभाव की संस्कृति" के बजाय "साक्षात्कार की संस्कृति" को प्रोत्साहित करने का सन्देश दिया। पर्यावरण की रक्षा पर बल देते हुए उन्होंने, "ईश्वर द्वारा मानव के सिपुर्द की गई सम्पूर्ण सृष्टि के प्रति सम्मान एवं सुरक्षा" का आह्वान किया ताकि, "सृष्टि का अन्धाधुन्ध शोषण न हो बल्कि उसे एक सुन्दर उद्यान में परिणत किया जा सके।"
ग़ौरतलब है कि ब्राज़ील के काथलिक पुरोहित एवं धर्मबहनें एमाज़ोन जंगलों की निर्धन जनजातियों के हितार्थ योजनाएं संचालित करती रहीं हैं जिसके लिये कई बार उन्हें जान का जोखिम भी उठाना पड़ा है। भूमि सम्बन्धी हिंसक झगड़े इस क्षेत्र में आम बात है जहाँ धनाढ्य किसान तथा पशु फार्मों एवं घुड़सालों के मालिक प्रायः बन्दूकचियों को भाड़े पर लेकर मूलनिवासियों को आरक्षित भूक्षेत्रों से जाने की धमकियाँ देते रहते हैं। आरम्भ ही से ब्राज़ील के एमाज़ोन क्षेत्रों में कलीसिया की उपस्थिति रही है जिसे यहाँ के मूलनिवासी अपनी उत्तरजीविता के लिये अनिवार्य मानते आये हैं।
राजनीति, व्यापार, उद्योग एवं संस्कृति जगत के अभिनायकों से सन्त पापा ने सांस्कृतिक परम्पराओं को मज़बूत करने, पर्यावरण की सुरक्षा द्वारा भविष्य का निर्माण करने तथा वर्तमान चुनौतियों की पृष्टभूमि में रचनात्मक वार्ताएँ आरम्भ करने का सन्देश दिया।








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