2013-07-27 12:03:13

रियो दे जानेरोः ब्राज़ील में सन्त पापा ने युवा क़ैदियों से की मुलाकात


रियो दे जानेरो, 27 जुलाई सन् 2013 (सेदोक): रियो दे जानेरो शहर के महाधर्माध्यक्षीय निवास में, शुक्रवार, 26 जुलाई को, सन्त पापा फ्राँसिस ने, रियो महानगर के चार विभिन्न युवा बन्दीगृहों के आठ नाबालिग क़ैदियों से मुलाकात कर उन्हें अपनी आशीष दी। इनमें छः किशोर एवं दो किशोरियाँ शामिल थीं।
वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने बताया कि लगभग आधे घण्टे तक सन्त पापा ने क़ैदियों से बातचीत की। इस दौरान बाल क़ैदियों ने सन्त पापा के साथ तस्वीरें खिंचवाई तथा उन्हें अपने निजी पत्र अर्पित किये। उन्होंने बताया कि बाल क़ैदियों में सबसे छोटी किशोरी ने सन्त पापा फ्राँसिस के आदर में एक गीत भी गाया जिसकी रचना उसने स्वयं की थी। फादर लोमबारदी ने बताया कि बाल क़ैदियों द्वारा सन्त पापा को अर्पित एक विशाल रोज़री माला सर्वाधिक मर्मस्पर्शी दृश्य सिद्ध हुआ इसलिये कि यह रोज़री माला बच्चों ने प्लास्टिक एवं थरमोकॉल से ख़ुद बनाई थी। इसके क्रूस पर "कान्देलारिया नुन्का माईस" शब्द अंकित थे, जिसका अर्थ है कान्देलारिया अब कभी नहीं। बच्चों के साथ प्रार्थना करते हुए सन्त पापा ने भी कहाः "कान्देलारिया अब कभी नहीं केवल प्रेम ही प्रेम।" कान्देलारिया वही खौफ़नाक स्थल है जहाँ 20 वर्षों पूर्व सड़क पर जीवन यापन करनेवाले कई बच्चों की हत्या कर दी गई थी। रोज़री माला के हर मोती पर हत्या के शिकार बच्चों के नाम लिखे हुए थे।
इस अवसर पर सन्त पापा ने बाल क़ैदियों के साथ मिलकर "हे पिता हमारे" प्रार्थना का पाठ किया तथा हिंसा के शिकार विश्व के सभी बच्चों के लिये प्रार्थना का निवेदन किया। फादर लोमबारदी ने कहा कि बाल क़ैदियों के साथ मुलाकात ने कारावास में जीवन यापन करनेवालों के प्रति सन्त पापा फ्राँसिस की एकात्मता को प्रकाशित किया। उन्होंने बताया कि सन्त पापा अभी भी आर्जेन्टीना के उन क़ैदियों से टेलीफोन पर बात करते हैं जिनके वे कभी आध्यात्मिक मार्गदर्शक रहे थे।
बाल क़ैदियों से मुलाकात के उपरान्त सन्त पापा फ्राँसिस ने महाधर्माध्यक्षीय निवास की बालकनी से प्राँगण में एकत्र हज़ारों श्रद्धालुओं को दर्शन दिये तथा मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व उन्हें अपना सन्देश दिया। सन्देश में सन्त पापा ने वयोवृद्धों के मूल्यों को पहचानने तथा उनकी प्रतिष्ठा का सम्मान करने परामर्श दिया। प्रज्ञा, परिवार एवं धार्मिक धरोहर के हस्तान्तरण हेतु वयोवृद्धों को निर्णायक निरूपित कर सन्त पापा ने कहा कि समाज के वृद्ध वह कोष हैं जिसे सम्भाल कर रखा जाना तथा सदृढ़ किया जाना चाहिये।








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