2013-07-24 12:51:07

रियो दे जानेरोः सन्त पापा फ्राँसिस आपारेसिदा के मरियम तीर्थ पर


रियो दे जानेरो, 24 जुलाई सन् 2013 (सेदोक): ब्राज़ील की संरक्षिका आपारेसिदा की रानी माँ मरियम के चरणों में श्रद्धा अर्पित कर, बुधवार 24 जुलाई को, सन्त पापा फ्राँसिस ने ब्राज़ील में अपनी प्रेरितिक यात्रा के कार्यक्रमों का शुभारम्भ किया।
ब्राज़ील की राजधानी रियो दे जानेरो से 200 किलो मीटर दूर स्थित आपारेसिदा नगर, ब्राज़ील की संरक्षिका आपारेसिदे के मरियम तीर्थ के कारण, सम्पूर्ण लातीनी अमरीका में विख्यात हो गया है।
सोमवार, 22 जुलाई को, सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा फ्राँसिस ब्राज़ील के रियो दे जानेरो में आयोजित 28 वें विश्व युवा दिवस के समारोहों का नेतृत्व करने हेतु रोम से रवाना हुए थे। रोम से रियो तक सवा 12 घण्टों की हवाई यात्रा के उपरान्त मंगलवार, 23 जुलाई को सन्त पापा ने रियो के महाधर्माध्यक्षीय निवास सुमारे में विश्राम किया।
सन् 1984 में धन्य सन्त पापा जॉन पौल के संग विश्व के युवाओं के साक्षात्कार के बाद काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित विश्व युवा दिवसों का सिलसिला आरम्भ हुआ था जो इसके बाद से विश्व के सभी महाद्वीपों के विभिन्न महानगरों में आयोजित किया जा चुका है। 22 से 29 जुलाई तक 28 वाँ विश्व युवा दिवस ब्राज़ील के रियो दे जानरो में आयोजित किया गया है जिसमें विश्व के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 15 लाख युवा प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।
सन्त पापा फ्राँसिस की यह पहली अन्तरराष्ट्रीय प्रेरितिक यात्रा है। इससे पूर्व, 1980, 1982, 1991 तथा 1997 में धन्य सन्त जॉन पौल द्वितीय ने तथा सन् 2007 में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने ब्राज़ील की प्रेरितिक यात्राएँ की थी।
ब्राजील विश्व का सबसे बड़ा रोमन कैथोलिक आबादी वाला देश है। सन् 2008 में प्रकाशित सर्वे के अनुसार ब्राज़ील की कुल आबादी 19 करोड़ है जिनमें 74 प्रतिशत यानि 13 करोड़ काथलिक धर्मानुयायी हैं। लगभग 15 प्रतिशत प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हैं। इनके अतिरिक्त, अन्य लातीनी अमरीकी देशों की तरह ही हाल के वर्षों में ब्राज़ील में भी अनेक धर्मपन्थों उदय हुआ है। लगभग 12 लाख व्यक्ति स्वतः को अज्ञेयवादी अथवा नास्तिक विचारधारा के घोषित करते हैं।

बुधवार को मौसम की खराबी के कारण हेलीकॉप्टर से आपारेसिदा तक जाने के बजाय सन्त पापा फ्राँसिस को साओ होसे तक विमान से जाना पड़ा। साओ होसे से आपारेसिदा 70 किलो मीटर दूर है। यह दूरी सन्त पापा ने हेलीकॉप्टर से तय की तथा आपारेसिदा मरियम तीर्थ पहुँचे।
आपारेसिदा लगभग 40,000 लोगों का छोटा सा नगर है जहाँ के अधिकांश लोगों का पेशा मछली पकड़ना है। आपारेसिदा के मरियम तीर्थ का इतिहास 18 वीं शताब्दी में शुरु हुआ। बताया जाता है कि सन् 1717 ई. में पारायबा नदी में फिलिपे पेदरोसो एवं उनके साथी मछियारों को बहुत कोशिश करने के बाद भी एक भी मछली हाथ नहीं लगी थी। तदोपरान्त, अचानक उनके जाल में मरियम की एक मूर्ति की धड़ आ गया। मछियारों ने फिर जाल डाला और मूर्ति की शीर्ष उनकी जाल में फँस गया। उन्होंने इसे ईश्वर का चमत्कार माना तथा मरियम का ध्यान लगाकर जाल फेंका जिसके बाद उनकी नाव मछलियों से भर गई। लगभग 15 वर्षों तक मछुए फिलिपे पेदरोसो ने मरियम की मूर्ति को अपने घर में रखा किन्तु आस पास के क्षेत्रों से तीर्थयात्रियों की वृद्धि के कारण सन् 1734 में मरियम के आदर में आपारेसिदा में एक प्रार्थनालय का निर्माण करा दिया गया। तब से ही आपारेसिदा का मरियम तीर्थ ब्राज़ील तथा सम्पूर्ण लातीनी अमरीका के विश्वासियों के लिये श्रद्धा और भक्ति का लक्ष्य बन गया है।
सन् 1929 ई. में सन्त पापा पियुस 11 वें ने आपारेसिदा की मरियम को "ब्राज़ील की महारानी एवं संरक्षिका" घोषित किया था। सन् 1984 में आपारेसिदा के मरियम तीर्थ को ब्राज़ील का राष्ट्रीय तीर्थस्थल घोषित कर दिया गया था।








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