सन्त आरसेनियुस का जन्म 354 ई. में रोम के एक
ख्रीस्तीय शतपति परिवार में हुआ था। माता पिता की मृत्यु के बाद आरसेनियुस की बहन आफ्रोसित्ति
कुँवारियों के एक धर्मसंघ में चली गई तथा आरसेनियुस ने अपनी सारी धन सम्पत्ति निर्धनों
में बाँट दी और तपस्वी जीवन यापन करने लगे।
रोम में आरसेनियुस सम्राट थेओदेसियुस
प्रथम के बच्चों के शिक्षक थे। तत्कालीन कलीसियाई परमाध्यक्ष, सन्त पापा, सन्त दामासुस
के धर्मविधिक कार्यों के लिये आरसेनियुस उपयाजक चुने गये थे। दस वर्षों तक उन्होंने कॉन्सटेनटीनोपल
में, सम्राट थेओदेसियुस के राजदरबार में सेवाएँ अर्पित कीं जिसके बाद मिस्र के एलेक्ज़ेनड्रिया
में एक भिक्षु बन गये। अपने एक रिश्तेदार से दायभाग में उन्हें बहुत सी सम्पत्ति मिली
जिसका उपयोग उन्होंने सन्त जॉन द डुआर्फ के संग अध्ययन हेतु किया तथा मिस्र के उजाड़
प्रदेश में एकान्तवासी बन गये। सन् 434 ई. में आरसेनियुस, मिस्र स्थित मेमफिस के निकट,
ट्रॉये पर्वत पर चले गये और वहाँ से एलेक्ज़ेड्रिया के निकटवर्ती द्वीप कानोपुस में रहने
लगे। ट्रॉये पर्वत पर ही 434 ई. में उनका निधन हो गया।
आरसेनियुस को उजाड़ प्रदेश
के पितामह कहा जाता है जिन्होंने ख्रीस्तीय धर्म के तपश्चर्या एवं मननशील जीवन को बहुत
अधिक प्रभावित किया। सन्त आरसेनियुस को, रोम के प्रज्ञावान एवं धर्मपरायण उपयाजक आरसेनियुस,
तुराह के आरसेनियुस, मिस्र के आश्रयदाता तथा आरसेनियुस महान नामों से जाना जाता है। सन्त
आरसेनियुस का पर्व, पूर्वी ऑरथोडोक्स कलीसिया में आठ मई को, कॉप्टिक ऑरथोडोक्स कलीसिया
में 13 मई को जबकि रोमी काथलिक कलीसिया में 19 जुलाई को मनाया जाता है।
चिन्तनः
सांसारिक धन वैभव का लोभ लालच छोड़ हम ईश्वर एवं सत्य की खोज में लगें।