थाईलैंड, वृहस्पतिवार 11 जुलाई, 2013 (सीएनए) थाईलैंड के चंताबुरी धर्मप्राँत के 230
बौद्ध विद्यार्थियों ने तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रेम और मानव मर्यादा के बारे में
ज्ञान प्राप्त किया।
कार्यशाला के बारे में बतलाते हुए सुसमाचार प्रचार और अंतरधार्मिक
वार्ता के लिये बने आयोग के अध्यक्ष फादर जोसेफ फोंगसाक ने बतलाया कि प्रेम का कोई धर्म
नहीं है यह सब धर्मों में व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि प्रेम ख्रीस्तीय विश्वास
का सार है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन शैली और क्रिया-कलापों का निचोड़ है जो मानव मर्यादा
की रक्षा में अहम भूमिका अदा करता है।
फादर जोसेफ ने कहा कि प्रेम और मानव मर्यादा
12 दिसंबर 1998 में मानवाधिकार संबधी विश्वव्यापी घोषणा से जुड़ी हुई है।
उन्होंने
कहा कि अधिकार मुख्य रूप मर्यादा से जुड़ी है और इसका आधार है अधिकार, स्वतंत्रतास न्याय
और शांति से जुड़ी है। फादर फोंगसाक ने कहा कि हम एक दूसरे से जुड़े रहें, दूसरे को जानें
और हर प्रकार की दुर्भावनाओं से दूर रहें।
आयोग अध्यक्ष ने कहा धर्मप्राँत के
पास्टोरल सेंटर में आयोजित कार्यशाला एक ऐसा अवसर था जब प्रशिक्षार्थी एक-दूसरे के प्रति
खुला हो सके, ईश्वरीय प्रेम का आदान-प्रदान कर सके और प्रेम का साक्ष्य दे।
उन्होंने
इस बात पर बल दिया कि सहयोग से विश्वास की भावना जगती है और इससे एक वातावरण का निर्माण
होता है जो अंतरधार्मिक वार्ता के लिये उपयुक्त है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ
के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान की बातों को उद्धृत करते हुए कहा कि मानवाधिकार शिक्षा
क्लास में दी जाने वाली शिक्षा से अधिक आवश्यक है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके सहारे
मानव पूर्ण सुरक्षा और मर्यादा के साथ जी सकता है।
उन्होंने जानकारी दी कि अंतरधार्मिक
कार्यशाला का अगला भाग आनेवाले दिनों में सम्पन्न होगा जिसमें विद्यार्थियों को कार्यानुभ
के अवसर प्राप्त होंगे।