2013-07-08 15:48:49

वाटिकन सिटीः ईश्वर के राज्य के सच्चे प्रेरित बनें


वाटिकन सिटी, सोमवार, 8 जुलाई 2103 (सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 7 जुलाई को, देवदूत प्रार्थना के पूर्व भक्त समुदाय को सम्बोधित कर संत पापा फ्राँसिस ने कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
विश्वास को समर्पित वर्ष के विशेष तीर्थयात्री: सभी सेमिनेरियन एवं नवशिष्य भाई- बहनों से मुलाकात की खुशी जाहिर करना चाहता हूँ। आप सभी से आग्रह करता हूँ कि उनके लिए प्रार्थना करें जिससे कि उनका जीवन हमेशा ख्रीस्त के प्रगाढ़ प्रेम में बना रहे तथा वे ईश्वर के राज्य के सच्चे प्रेरित बनें। इस रविवार का सुसमाचार पाठ विशेष रुप से यह बतलाता है कि येसु अकेले मिशनरी नहीं हैं, वे अपने मिशन को अकेले पूरा करना नहीं चाहते हैं किन्तु अपने चेलों को भी शामिल करते हैं। आज, हम देखते हैं कि उन बारह चेलों के साथ येसु अन्य 72 चेलों को बुलाते तथा दो-दो करके विभिन्न गाँवों में भेजते हैं एवं ईश्वर के राज्य के निकट आने की घोषणा करने का आदेश देते हैं। यह अति सुन्दर है कि येसु अकेले काम करना नहीं चाहते हैं। वे दुनिया में ईश्वर के प्यार को लेकर आये हैं तथा उसे भ्रातृ प्रेम से निर्मित्त समुदाय के द्वारा बांटना चाहते हैं।
इस कारण उन्होंने शीघ्र ही शिष्यों के एक समुदाय का निर्माण किया जो प्रेरितों का समुदाय है तथा जिन्हें मिशन शिक्षा दी।
संत पापा ने सचेत करते हुए कहा, आप ध्यान दें कि इसका अर्थ समाजीकरण या
साथ मिलकर समय व्यतीत करना केवल नहीं है। इसका उदेश्य है ईश्वर के राज्य की घोषणा करना जो आज भी बहुत आवश्यक है। व्यर्थ की बातों में समय बिताने का वक्त नहीं है। लोगों की सहमति का इन्तज़ार करने की आवश्यकता नहीं हैं, आवश्यकता है कि हम लोगों के बीच जाकर सुसमाचार की घोषणा करें, ख्रीस्त की शांति को बांटें। यदि लोग स्वीकार न करें तो भी आगे बढ़ते जायें। बीमारों को चंगा करें क्योंकि ईश्वर लोगों को हर प्रकार की बुराई से मुक्त करना चाहते हैं। संत पापा ने प्रश्न किया, "कितने मिशनरी ऐसा करते हैं? दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जीवन, स्वास्थ्य एवं सहानुभूति के बीज बोते हैं। यह कितना अच्छा है कि वे अपने लिए नहीं जीते किन्तु भलाई या अच्छाई के लिए जीते हैं।
संत पापा ने सभी युवाओं को संबोधित कर कहा कि वे इसके बारे में विचार करें, अपने आपसे पूछें: क्या येसु मुझे जाने के लिए कह रहे हैं? अच्छाई के लिए अपने आपसे बाहर आने के लिए कह रहे हैं? "युवाओं क्या आप में ऐसा करने का साहस हैं ? तथा क्या आप येसु की आवाज सुनने को तैयार हैं। मिशनरी होना कितना अच्छा है। आप अच्छे मिशनरी हैं और यह मुझे बहुत पसंद है।
संत पापा ने सुसमाचार के 72 शिष्यों की ओर ध्यान खींचते हुए प्रश्न किया, "वे 72 शिष्य जिन्हें येसु अपने आगे भेजते हैं, वे कौन हैं, वे किनका प्रतिनिधित्व करते हैं? "12 प्रेरित जो धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं डिकनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किन्तु बृहद स्तर पर कलीसिया में अन्य सेवक भी हैं जैसेः प्रचारक एवं विश्वासी जो पल्ली के मिशन कार्यों में सहभागी होते हैं, जो कठिनाईयों में पड़े लोगों, बीमारों एवं संक्रमक रोगों से ग्रसित लोगों की सेवा करते हैं, किन्तु उन्हें चाहिये कि वे सुसमाचार के प्रेरितों के समान, स्वर्ग राज्य की स्थापना के लिये कार्य करें। हम सभी मिशनरी हैं, सभी को येसु की आवाज सुनकर लोगों के बीच ईश्वर के राज्य का प्रचार करना है।
संत पापा ने कहा," सुसमाचार हमें बताता है कि 72 शिष्य अपने मिशन से सानन्द वापस लौटे क्योंकि उन्होंने विभिन्न चुनौतियों के समय में भी येसु के नाम की शक्ति का अनुभव किया था। येसु शिष्यों के लिए इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्होंने बुराई पर विजय प्राप्त करने की शक्ति उन्हें प्रदान किये हैं किन्तु आगे संत पापा कहते हैं कि इसलिए आनन्दित नहीं होना चाहिए कि बुरी आत्मा आपकी आज्ञा मानते हैं किन्तु इसलिए कि स्वर्ग में उनके नाम लिखे गये हैं। (लूक.10:20) अपने को बड़ा व्यक्ति समझ कर हमें घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारी खुशी उनके शिष्य एवं मित्र बनने में है। संत पापा ने प्रार्थना की कि माता मरिया हमें अच्छे सेवक होने में मदद करे।
तत्पश्चात संत पापा ने कहा, "प्रिय मित्रो, आनन्दित होने के लिए न डरें, आनन्द से न डरें वह आनन्द जिसे ख्रीस्त प्रदान करते जब हम उन्हें अपने जीवन में प्रवेश करने देते हैं। वे हमें बाहर निकलकर बास्तियों में जाने एवं सुसमाचार की घोषणा करने का निमंत्रण देते हैं। खुशी से न घबरायें तथा साहसी बनें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।
देवदूत प्रार्थना के पश्चात उन्होंने उपस्थित विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "जैसा कि आप जानते हैं कि दो दिनों पूर्व ‘लुमेन फेदे’ या ‘विश्वास की ज्योति’ नामक प्रेरितिक प्रत्र प्रकाशित किया गया। इसकी शुरुआत ससम्मान सेवा निवृत संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने विश्वास को समर्पित वर्ष के उपलक्ष्य में किया था तथा जिसमें उदारता एवं आशा के विषयों पर विचार प्रस्तुत किया गया है। उनके बाद मैंने इस महान कार्य को पूरा किया है। मैं इसे ईश्वर की प्रजा के लिए खुशी से प्रस्तुत करता हूँ। आज हम ख्रीस्तीय विश्वास के मूलभूत तत्वों को जानें, विश्वास को गहरा करें और आधुनिक समस्याओं एवं मद्दों का सामना करें। संत पापा ने कहा कि इस प्रेरितिक पत्र का कुछ भाग उन लोगों के लिए मदद कर सकता है जो ईश्वर तथा जीवन के अर्थ की खोज कर रहे हैं। मैं इसे माता मरिया के हाथों सुपुर्द करता हूँ। जो विश्वास की सच्ची छवि हैं जिससे यह ईश्वर की इच्छा के अनुकूल फल ला सके।
इसके पश्चात संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा उन्हें शुभ रविवार की मंगल कामना अर्पित की।








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