2013-07-08 12:03:30

लामपेदूसाः सन्त पापा ने लामपेदूसा में की मृत आप्रवासियों की याद


लामपेदूसा, 08 जुलाई सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार, 08 जुलाई को, इटली के लामपेदूसा द्वीप पर सैकड़ों मृत आप्रवासियों की याद में समुद्र में पुष्पांजलि अर्पित की।
इटली के सिसली द्वीप स्थित, लामपेदूसा लगभग नौ किलो मीटर लम्बा वही बन्दरगाह है जो अफ्रीका से बहुत नज़दीक है तथा विगत वर्षों में यह हज़ारों आप्रवासियों के लिये इटली और वहाँ से यूरोप के अन्य देशों में जाने का रास्ता बन गया है। द्वीप की कुल आबादी पाँच हज़ार है जो विगत कई वर्षों से अफ्रीका के अवर सहारा, मिस्र, ईराक, सिरिया एवं पाकिस्तान से आप्रवासियों से भरी नावों के बोझ का दबाव झेलती रही है। इन आप्रवासियों में कई गन्तव्य तक पहुँचने से पूर्व ही सागर की ऊँची ऊँची लहरों में डूब कर मर गये हैं।
रोम से बाहर सन्त पापा फ्राँसिस की यह पहली आधिकारिक प्रेरितिक यात्रा है जो अपने आप में प्रतीकात्मक है जिन्होंने निर्धनों एवं ज़रूरतमन्दों को अपने परमाध्यक्षीय काल के केन्द्र में रखा है तथा अपने प्रवचनों में बारम्बार कलीसिया के सदस्यों से आग्रह किया है कि वे निर्धनों की सेवा को अपना प्रमुख मिशन बनायें।
सोमवार को इताली समयानुसार प्रातः नौ बजे सन्त पापा फ्राँसिस लामपेदूसा पहुँचे जहाँ आग्रीजेन्तो तथा लामपेदूसा के नागरिकों सहित कई दर्ज़नों मछली पकड़नेवाली नावों ने उनका स्वागत किया। विगत वर्षों में जलमग्न हुए आप्रवासियों की याद में सन्त पापा फ्राँसिस ने समुद्र में पुष्पांजलि अर्पित की तथा ख्रीस्तयाग प्रवचन में आप्रवासियों तथा उनकी कठिन राहों के प्रति एकात्मता का आह्वान किया।
लामपेदूसा में सन्त पापा के पहुंचते ही एरित्रेया से 162 आप्रवासियों को लिये एक और नाव समुद्र तट पर पहुंची। "सन्त पापा फ्राँसिस आप ही हमें बचा सकते हैं" तथा "आप भी हममें से एक हैं" शब्दों से लिखे विशाल बैनरों ने सन्त पापा का स्वागत किया। ग़ौरतलब है कि सन्त पापा फ्राँसिस के माता पिता भी आर्जेन्टीना में जा बसे इटली के ट्यूरिन नगर के आप्रवासी थे।
लामपेदूसा द्वीप पर ख्रीस्तयाग से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस ने कई आप्रवासियों से एक-एक कर मुलाकात की तथा उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
संयुक्त राष्ट्र संघीय शरणार्थी एजेन्सी के अनुसार, सन् 2013 के आरम्भ से अब तक 8,400 शरणार्थी लामपेदूसा पहुँचे हैं जिनमें से 40 की मृत्यु हो चुकी है। प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार, सन् 1994 से सन् 2012 तक, सिसिली द्वीप पर पहुँचने से पहले ही, कम से कम 6,450 आप्रवासियों की मौत हो गई है।








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