2013-07-05 12:42:59

वाटिकन सिटीः करुणा ईश्वर के सन्देश का प्राण, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, 05 जुलाई सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा ने कहा है कि करुणा, ईश्वर के सन्देश का प्राण है।
वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में शुक्रवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा ने, सन्त मत्ती की बुलाहट से सम्बन्धित सुसमाचार पाठ पर, चिन्तन किया।
पापियों के साथ भोजन करने के लिये प्रभु येसु की आलोचना करनेवाले फरीसियों से कहे मसीह के शब्दों को दुहराते हुए सन्त पापा ने कहा, "मैं यज्ञ अथवा चढ़ावा नहीं अपितु दया चाहता हूँ।" सन्त पापा ने कहा कि फरीसी पाखण्डी थे तथा शुल्क जमा करनेवाले दोहरे पापी थे इसलिये कि निर्धन लोगों से धन ऐँठा करते थे तथा रोमियों की ओर से शुल्क लिया करते थे।
सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु ने शुल्क लेनेवाले मत्ती पर दया दिखाई। उन्होंने कहा कि येसु को देखकर मत्ती के अन्तरमन में परिवर्तन हुआ तथा वह उनका अनुयायी बनने के लिये प्रेरित हुआ। उन्होंने कहा कि मत्ती धन के प्रति आसक्त था फिर भी प्रभु येसु की करुणामय दृष्टि से प्रभावित वह सबकुछ का परित्याग कर उनके पीछे हो लेने के लिये तत्पर हो जाता है। उन्होंने कहा, "प्रभु की करुणा के परिणामस्वरूप ही मत्ती धन का परित्याग कर सका तथा येसु का अनुयायी बन सका। वह क्षण मत्ती के लिये ईश्वर के साथ साक्षात्कार एवं गहन आध्यात्मिक अनुभव का क्षण सिद्ध हुआ।
सन्त पापा ने कहा कि इसके बाद, "प्रभु पापियों के साथ पर्व मनाते हैं: वे ईश्वर की करुणा का समारोह मनाते जो जीवन को परिवर्तित कर देती है।" सन्त पापा ने कहा, साक्षात्कार के आश्चर्य एवं समारोह के इन दो क्षणों के उपरान्त सुसमाचार की उदघोषणा व्यक्ति की दिनचर्या बन जाती है।"
सभी से सन्त पापा ने अनुरोध किया कि वे ईश्वरीय करुणा के लिये अपने मन के द्वारों का खुला रखें क्योंकि प्रभु कहते हैः "मैं न्यायी को नहीं अपितु पापियों को बुलाने आया हूँ।"







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