वाटिकन सिटीः पाप को जाल न बनने दें, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 03 जुलाई सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि व्यक्ति को
पाप और प्रलोभन से बाहर निकलने का साहस करना चाहिये तथा उन्हें जाल नहीं बनने देना चाहिये। वाटिकन
स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा
फ्राँसिस ने कहा कि कभी कभी पाप एवं प्रलोभन से भागना ही उत्तम होता है। उन्होंने कहा
कि इस बात को स्वीकार करते हुए कि हम कमज़ोर हैं हमें पाप से दूर भागने की कोशिश करनी
चाहिये ताकि येसु के पथ पर आगे बढ़ सकें। उत्पत्ति ग्रन्थ में निहित सोदोम और गोमोरा
नगरों के विनाश सम्बन्धी अध्याय के उस पाठ पर सन्त पापा चिन्तन कर रहे थे जिसमें स्वर्गदूतों
ने लोथ एवं उनके परिवार को भाग जाने की चेतावनी दी थी। इस पाठ के अनुसार लोथ ने भाग जाने
में देर लगा दी थी तथा विनाश को पीछे पलट कर देखने के कारण उनकी पत्नी नमक की मूर्ति
में परिणत हो गई थी। सन्त पापा ने कहा कि लोथ की तरह हिचकिचाना तथा उनकी पत्नी की
तरह पीछे छोड़ी हुई चीज़ों का मोह करना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा, "पापपूर्ण स्थिति
से अथवा प्रलोभन से अपने आप को बिलकुल अलग कर लेना वास्तव में कठिन है।" उन्होंने
कहा कि प्रलोभन के आगे हम हिचकिचायें नहीं और न ही पाप के विषय में जिज्ञासु होवें अपितु
उनसे दूर भागने का प्रयास करें ताकि प्रभु के मार्ग पर चल सकें। उन्होंने कहा, "पाप का
परित्याग कर आगे बढ़ने से हम भय न खायें कि आगे क्या होगा बल्कि प्रभु से प्रार्थना करते
हुए नये मार्ग पर आगे बढ़ते रहें।