2013-07-01 12:00:30

वाटिकन सिटी: देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 1 जुलाई 2013 (सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, 30 जून को, देवदूत प्रार्थना के पूर्व भक्त समुदाय को सम्बोधित कर संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "इस रविवार का सुसमाचार पाठ ख्रीस्त के जीवन में एक महत्वपूर्ण कदम की ओर इंगित करता हैः जैसा कि संत लूकस लिखते हैं, ‘येसु ने येरुसलेम जाने का निश्चय किया।’(लूक.9:51)"
संत पापा ने कहा, "येरुसालेम अंतिम लक्ष्य है जहाँ येसु को अपने अंतिम पास्का में मरना तथा जी उठना है और इस प्रकार उन्हें मुक्ति के मिशन को पूर्णता तक पहुँचाना है।"
संत पापा ने आगे कहा, "इस दृढ़ निश्चय के पश्चात् येसु सीधे अंतिम लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हैं तथा जिस किसी से मिलते, उन्हें भी अपना अनुसरण करने को कहते हैं। वे स्पष्ट शब्दों में शर्तों को बताते हैं; कि कोई स्थायी घर न हो, मानवीय लगावों से दूर रहना, अतीत की यादों से उदास नहीं होना। येसु ने अपने चेलों को येरुसालेम के रास्ते पर आगे बढ़ने हेतु निर्देश देते हुए कहा कि जो कुछ भी उन्हें आगे बढ़ने में सहायक न हो उन्हें न ले जाएँ, वे सदा आगे बढ़ें। येसु कुछ भी नहीं थोपते हैं, येसु विनीत हैं वे निमंत्रण देते हैं कि यदि तुम चाहते हो तो मेरा अनुसरण करो। येसु की विनम्रता यही है कि वे ज़बरदस्ती नहीं करते किन्तु निमंत्रण देते हैं।
संत पापा ने कहा कि यह सब हमें चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें बताते हैं कि येसु के लिए भी यह महत्वपूर्ण था कि वे अपने हृदय या अंतःकरण में पिता की आवाज सुनते तथा उसका पालन करते। येसु अपने मानवीय जीवन में एक रिमोट कॉट्रोल नहीं थे। वे शब्द थे जिन्होंने शरीर धारण किया, ईश्वर के पुत्र मानव बना तथा एक निश्चित समय में येरुसालेम जाने का निश्चय किया, एक ऐसा निश्चय जिसे उन्होंने अपने अंतःकरण से लिया, किन्तु अकेला नहीं, पिता के साथ, उनकी पूर्ण एकता में, पिता की इच्छा का पालन करते हुए।

इस कारण उनका निश्चय मजबूत था क्योंकि उन्होंने पिता के साथ मिलकर निर्णय लिया था। येसु को इस रास्ते में पिता से बल तथा प्रकाश प्राप्त हुआ। येसु इस निर्णय को लेने के लिए स्वतंत्र थे। येसु चाहते हैं कि हम ख्रीस्तीय उनकी तरह स्वतंत्र हों, ऐसी स्वतंत्रता जो पिता के साथ बात-चीत करने से आती है, ईश्वर के साथ बात करने से आती है।
येसु नहीं चाहते कि कोई ख्रीस्तीय अपने स्वार्थ के अनुसार चले एवं पिता से वार्तालाप करने से इन्कार करे। जो ख्रीस्तीय कमजोर हैं तथा जिनकी कोई चाह नहीं है वे ‘रिमोट कॉट्रोल’ ख्रीस्तीय हैं जो अपने से सोच नहीं सकते एवं हमेशा दूसरों की इच्छा पर निर्भर रहते हैं वे स्वतंत्र नहीं हैं। येसु स्वतंत्र करना चाहते हैं। संत पापा ने कहा, "इस स्वतंत्रता से हम क्या कर सकते हैं? इस स्वतंत्रता के द्वारा हम अपने अंतःकरण में ईश्वर से बात कर सकते हैं। यदि एक ख्रीस्तीय ईश्वर से बात करना नहीं जानता है तो वह ईश्वर की आवाज को अपने अंतःकरण में नहीं सुन सकता है वह स्वतंत्र नहीं है।
अतः हमें अपने अंतःकरण को सुनना सीखना अति आवश्यक है किन्तु सचेत रहें इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं सिर्फ अपने मन के अनुसार चलूँ जो मुझे अच्छा लगता है सिर्फ वही करुँ जो मेरे लायक है और जिसे मैं पसंद करता उसे ही पूरा करूँ। अंतःकरण अपने अंदर एक ऐसा स्थान है जहाँ सच्चाई, अच्छाई एवं ईश्वर को सुना जा सकता है, यह ईश्वर के साथ मेरे संबंध का स्थान है, वे मेरे हृदय में बोलते तथा निर्णय लेने में मदद करते हैं कि मुझे किस रास्ते पर आगे बढ़ना है तथा निश्चय करने के बाद उस पर अडिग होकर आगे बढ़ना है।
संत पापा ने कहा, "संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने इसका महान उदाहरण प्रस्तुत किया है। हाल के उदाहरणों में, उनका जीवन हमारे लिए एक अच्छा उदाहरण है कि हम अंतःकरण द्वारा कैसे ईश्वर से जुड़े रह सकते हैं। ईश्वर ने जब प्रार्थना में उन्हें अपनी इच्छा प्रकट की कि उन्हें क्या कदम लेना चाहिए, तब उन्होंने अपने अंतःकरण में यह निर्णय बड़े विवेक एवं साहस के साथ लिया। यही ईश्वर की इच्छा है जिसे उन्होंने अपने अन्तरमन में सुना यह एक सुन्दर उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है। हम भी उनका अनुसरण कर सकते हैं।
संत पापा ने कहा कि माता मरिया ने ईश्वर की वाणी को बड़ी दीनता से सुना, उसपर गहन चिंतन किया तथा अपने पुत्र येसु का अनुसरण गहरी आस्था एवं दृढ आशा से किया। माता मरिया हमें अधिक से अधिक, अंतरात्मा के व्यक्ति बनने में मदद करे ताकि स्वतंत्र रुप से अंतरात्मा में हम ईश्वर की आवाज को सुन और समझ सकें तथा उनकी आवाज सुन कर एक निश्चित मार्ग पर चल सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत का पाठ किया तथा अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।
देवदूत प्रार्थना के बाद संत पापा ने कहा, आज इटली में संत पापा को समर्पित ‘उदारता दिवस’ मनाया जा रहा है। मैं सभी धर्माध्यक्षों, पल्ली पुरोहितों, विशेष रुप से, गरीबों को प्रार्थना तथा दान के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ जो प्रेरित संत पेत्रुस के उतराधिकारी को समस्त विश्व में प्रेरिताई हेतु सहयोग प्रदान करते हैं। सभी को धन्यवाद।










All the contents on this site are copyrighted ©.