2013-06-30 07:48:03

प्रेरक मोतीः रोम के प्रथम शहीद (सन् 64 ई.)
(30 जून)


वाटिकन सिटी, 30 जून सन् 2013:

काथलिक कलीसिया ने 30 जून का दिन रोम के प्रथम ख्रीस्तीय शहीदों का स्मृति दिवस घोषित किया है। प्रथम ख्रीस्तीय शहीद आरम्भिक कलीसिया के सदस्य हैं जिन्हें रोमी सम्राट नीरो के उत्पीड़न काल में मौत के घाट उतार दिया गया था। सन् 64 ई. में, अपने अपराधों पर पर्दा करने के लिये, नीरो ने रोम में आग लगवा दी थी तथा इसका दोष ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर मढ़ दिया था। दुष्ट नीरो ने कुछ ख्रीस्तीयों को अपने सन्ध्याकालीन प्रीति भोजों में मशालों की तरह जलाकर मार डाला तो कुछ को क्रूस पर टाँगकर और अन्यों को जंगली जानवरों के आगे छोड़ दिया था। नीरो के अत्याचार तथा ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न की दर्दनाक घटनाएँ, तचीतुस तथा सन्त पापा क्लेमेन्त प्रथम सहित, अनेक इतिहासकारों द्वारा रिकार्ड की गई हैं। रोम के प्रथम शहीदों ने सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस से पहले शहादत प्राप्त की थी इसीलिये इन्हें "प्रेरितों के शिष्य" कहा जाता है।

30 जून को रोम के प्रथम शहीदों का पर्व मनाये जाने की घोषणा द्वितीय वाटिकन महासभा के बाद की गई थी तथा सन् 1969 ई. से यह पर्व काथलिक पंचांग में है। इस पर्व को सन्त पेत्रुस तथा सन्त पौलुस के पर्व के एक दिन बाद रखा गया है जो रोम के दो महान प्रेरित थे।


चिन्तनः अत्याचारों और अनाचारों के बावजूद प्रभु ख्रीस्त में अपने विश्वास का साक्ष्य देनेवाले रोम के प्रथम शहीद हमारी प्रेरणा का स्रोत बनें।








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