2013-06-28 13:43:52

ख्रीस्तीय होने का स्वांग मात्र यर्थाथ ख्रीस्तीय नहीं, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 28 जून 2013( एशिया न्यूज़): "कई ख्रीस्तीय" यर्थाथ ख्रीस्तीय नहीं हैं किन्तु ख्रीस्तीय होने का स्वांग रचते हैं, यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 27 जून को संत मार्था आवास में पवित्र मिस्सा के दौरान कही।

उन्होंने अपने उपदेश में कहा कि दो प्रकार के विश्वासी होते हैं जो ख्रीस्तीयता का असली रुप प्रदर्शित नहीं करते हैं पहले, सतही तौर पर विश्वास करने वाले जिनका ख्रीस्त रूपी चट्टान पर विश्वास नहीं होता एवं जो विश्वास की सतह पर बहना पसंद करते हैं तथा दूसरे, कठोर विश्वासी जो ख्रीस्तीयता का अर्थ निरंतर शोक में डूबे रहना समझते हैं।
संत पापा ने संत मती रचित सुसमाचार में निहित बालू एवं चट्टान पर बने मकानों के दृष्टांत पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि ये घर एक-दूसरे के प्रति विरोधाभास प्रकट करते हैं जो गंभीर त्रुटियुक्त दो प्रकार के विश्वासियों को दर्शाते हैं, क्योंकि उनके विश्वास की नींव येसु रुपी चट्टान पर टिकी नहीं होती।
उन्होंने कहा कि कलीसिया में दो वर्ग के ख्रीस्तीय हैं वचन के ख्रीस्तीय एवं कर्म के ख्रीस्तीय। पहले प्रकार के ख्रीस्तीय ‘नोस्टीक’ या गूढ़ज्ञानवादी कहे जा सकते हैं, जो येसु रुपी चट्टान से प्रेम करने के बदले शब्दों से प्रेम करते हैं अतः उनका जीवन ख्रीस्तीय जीवन के सतह पर होता है, दूसरे प्रकार को ‘पेलाजियन’ की संज्ञा दी जा सकती है जो नीरस जीवन पद्धति में विश्वास करते हैं।
संत पापा ने पहले प्रकार के ख्रीस्तीयों की खुशी को बनावटी तथा दूसरे को नीरस जीवन बताया। उन्होंने कहा कि वे ख्रीस्तीय आनन्द का अर्थ नहीं जानते एवं ख्रीस्त प्रदत्त जीवन की खुशी का रस नहीं ले पाते हैं। वे स्वतंत्र भी नहीं हैं तथा सतही एवं कठोरता के गुलाम हैं। पवित्र आत्मा के लिए उनके जीवन में कोई स्थान नहीं है। संत पापा ने कहा कि सिर्फ पवित्र आत्मा हमें स्वतंत्र कर सकता है।
संत पापा ने कहा कि आज ख्रीस्त हमारी चट्टान हमें अपने में जीवन का निर्माण करने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं जो हमें स्वतंत्रता कर पवित्र आत्मा को हमें प्रदान करते तथा हमारी जीवन यात्रा को आनंदमय बनाते हैं।









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