कोलोम्बोः श्री लंका में निर्दोष लोगों पर पुलिस कर रही अत्याचार
कोलोम्बो, 28 जून सन् 2013 (एशियान्यूज़): श्री लंका के मानवाधिकार संगठनों का आरोप है
कि देश के कुछेक क्षेत्रों में पुलिस निर्दोष लोगों पर मनमाना अत्याचार कर रही है। "राईट
टू लाईफ" ग़ैरसरकारी संस्था ने देश में कार्यरत मानवाधिकार संगठनों की एक बैठक आयोजित
की जिसमें पुलिस अत्याचारों के शिकार कई लोगों ने अपने अनुभव सुनायें। 26 जून को सम्पन्न
बैठक में मानवाधिकार संगठनों के कार्यकर्त्ताओं, कलीसियाई एवं धार्मिक नेताओं, विपक्षी
राजनैतिक दल के सदस्यों तथा नागर समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। गवाहों के बयान
सुनने के उपरान्त "राईट टू लाईफ" ग़ैरसरकारी संस्था ने कहा कि श्री लंका की पुलिस निर्दोष
लोगों पर अन्धाधुन्ध अत्याचार कर रही है तथा यातनाएँ देने के लिये वर्जित तौर तरीकों
का भी उपयोग कर रही है। संस्था ने कहा कि सन् 2009 में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद
से यातनाएँ देना पुलिस की नियमित गतिविधि बन गई है। हालांकि, अत्याचारों के शिकार हुए
कई लोगों ने हाल में पुलिस के दुराचारों की शिकायत का साहस किया है। सबसे अन्तिम प्रकरण
39 वर्षीय नीलूपुल इन्डिका का है। 27 मई को महागेधारा के नीलूपुल को एक घर में चोरी के
आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के दौरान पुलिस ने उसे अत्यधिक उत्पीड़ित
किया तथा उसकी आँखों में मिर्ची का पानी डाला ताकि वह अपराध कुबूल कर ले। इसके बावजूद
जब नीलूपुल ने अपने आप को निर्दोष बताया तो पुलिस ने उसके कपड़े उतार कर उसके साथ दुर्व्यवहार
किया। केवल उसके एक आयरी दोस्त के आने पर पुलिस की बर्बरता समाप्त हुई और उसे छोड़ दिया
गया। मानवाधिकारों पर अमरीकी विभाग की रिपोर्ट सन् 2012 के अनुसार पुलिस स्टोशनों
पर यातनाएं देना श्री लंका में आम बात है जिसे मानवाधिकारों का घोर अतिक्रमण माना जाना
चाहिये।