वाटिकन सिटीः साप्ताहिक आम दर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस का संदेश
वाटिकन सिटी, बुधवार 26 जून 2013 (सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण
में, 26 जून को साप्ताहिक आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने ‘कलीसिया:
पवित्र आत्मा का मंदिर’ विषय पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए अपनी धर्मशिक्षा माला जारी की,
उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित भक्त समुदाय को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं
बहनो, सुप्रभात, आज मैं एक अन्य चित्र का संकेत देना चाहता हूँ जो कलीसिया के रहस्य
को समझने में मदद करता है वह है, ‘कलीसिया: एक मंदिर’।(लूमेन जेनसियुम-6)" संत
पापा ने कहा, "मंदिर" शब्द से हमारे मन में क्या विचार आता है? यह हमें एक मकान एवं उसके
निर्माण की याद दिलाता है। विशेष रुप से, पुराने व्यवस्थान में बताये गये इस्राएली जनता
के इतिहास में, राजा सूलेमान का येरूसालेम महामंदिर जो प्रार्थना में ईश्वर से मिलने
का स्थान था, विधान की संहिता जो लोगों के बीच ईश्वर की उपस्थिति का चिन्ह थी तथा संदूक
जिसमें सहिंता की पाटी, मन्ना एवं हरूण की छड़ी रखी थी, जो यह स्मरण कराती थी कि ईश्वर
अतीत में सदा अपने लोगों के साथ था, उसने उनकी यात्रा में साथ दिया तथा उनकी अगुवाई की
थी । संत पापा ने आगे कहा, येसु ख्रीस्त, देहधारी पुत्र जो हमारे साथ रहे, वे स्वयं
अंतिम एवं जीवित मंदिर हैं जहाँ हम ईश्वर की उपस्थिति को हमारे बीच अनुभव करते हैं। ख्रीस्त
ईश्वर के पवित्र मंदिर के निर्माण में "जीवित पत्थर"( एफे. 2: 21), हमें अपने रहस्यात्मक
शरीर के अंग बनाते हैं। आगे उन्होंने कहा, "पवित्र आत्मा अपने वरदानों द्वारा हमें
एकता के सूत्र में बाँधते तथा पवित्र आत्मा में कलीसिया के निमार्ण हेतु सहयोग करने के
योग्य बनाते हैं। जैसे कि संत पेत्रुस पहले पत्र के दूसरे अध्याय के चौथे और पाँचवें
पदों में लिखते हैं: "प्रभु वह जीवन्त पत्थर है जिससे मनुष्यों ने तो बेकार समझकर निकाल
दिया किन्तु जो ईश्वर द्वारा चुना हुआ और उसकी दृष्टि में मूल्यवान है। उनके पास आयें
और जीवन्त पत्थरों का आध्यात्मिक भवन बनें।" संत पापा ने कहा कि कलीसिया भौतिक वस्तुओं
एवं अभिरुचियों का घर नहीं है बल्कि पवित्र आत्मा का मंदिर है वह मंदिर जिसमें ईश्वर
सदैव क्रियाशील रहते हैं ऐसा मंदिर जिसमें हम में से प्रत्येक व्यक्ति बपतिस्मा के वरदान
द्वारा जीवित पत्थर हैं। संत पापा ने कहा कि यह दर्शाता है कि कलीसिया का कोई भी सदस्य
बेकार या छोटा नहीं, कोई अज्ञात नहीं है: हम सब मिलकर कलीसिया की संरचना करते हैं।
तत्पश्चात संत पापा ने आज के आमदर्शन समारोह में उपस्थित विभिन्न भाषाओं के तीर्थयात्रियों
एवं पर्यटकों को संबोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों को संबोधित कर
कहा, "मैं आज के आम दर्शन समारोह में उपस्थित सभी अंग्रेजी भाषा-भाषी को अपना स्नेहपूर्ण
शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ। यह अनन्त शहर आपको ख्रीस्त तथा कलीसिया के प्रेम में बढ़ने
हेतु मदद प्रदान करे। ईश्वर आपको आशीष दे। तत्पश्चात संत पापा ने सभी को अपना प्रेरितिक
आर्शीवाद दिया।