योहन बपतिस्ता जैरूसालेम के मन्दिर के याजक जखारिया
एवं मरियम की चचेरी बहन एलीज़ाबेथ के पुत्र थे। देवदूत ग्राब्रिएल द्वारा जखारियस को
मिले सन्देश के बाद योहन का जन्म जैरूसालेम के आईन-करीम में हुआ था। सन् 27 ई. तक योहन
यहूदिया के उजाड़ प्रदेश में घूमते रहे थे और जब वे तीस वर्ष के हुए तो यर्दन नदी के
तट पर, उस युग में व्याप्त बुराइयों के विरुद्ध, उपदेश देने लगे। उन्होंने लोगों को मनपरिवर्तन
तथा बपतिस्मा ग्रहण करने के लिये आमंत्रित किया और चेतावनी देते रहे कि "ईश राज्य निकट
था।" उनका उपदेश सुनने लोग दूर दूर से यर्दन नदी के तट पर एकत्र होने लगे। इन्हीं में
एक बार येसु ख्रीस्त भी प्रकट हुए जिन्हें देखते ही उन्होंने उनमें मसीह को पहचान लिया
और उन्हें यह कहते हुए बपतिस्मा प्रदान किया, "मैं हूँ जिसे आपसे बपतिस्मा ग्रहण करने
की ज़रूरत है।"
जब प्रभु येसु ख्रीस्त गलीलिया में सुसमाचार प्रचार के लिये चले
गये तब भी योहन यर्दन घाटी में उपदेश देते रहे। योहन के शक्तिशाली प्रवचनों तथा उनसे
मिली लोकप्रियता से तत्कालीन राजा हेरोद अन्तीपस भय खाने लगा। जब योहन ने राजा हेरोद
के भाई फिलिप की पत्नी हेरोदियास के साथ राजा के अनैतिक सम्बन्धों की निन्दा की तब उस
दुष्ट ने उन्हें गिरफ्तार कर कारावास में डलवा दिया। कारावास में योहन को कड़ी यातनाएँ
दी जाती रहीं।
भोगविलास में लिप्त हेरोद अन्तीपस, नशे में चूर रहा, व्याभिचार
में लगा रहा। एक बार उसने हेरोदियास की बेटी सलोमी से नृत्य की फरमाईश की और मुँहमांगा
इनाम देने की घोषणा कर दी। राजा को प्रसन्न करने के लिये सलोमी भी संगीत की धुन पर थिरक
उठी और माँ के उकसाने पर उसने कारावास में बन्द योहन का सिर मांग लिया। हेरोद अन्तीपस
इस पर भौचक्का रह गया किन्तु वादा कर चुका था इसलिये दरबारियों के समक्ष अपने वचन से
पीछे नहीं हट सका। इस प्रकार, हेरोद के आदेश पर योहन का धड़ उनके सिर से अलग कर उन्हें
मार डाला गया।
योहन बपतिस्ता ने अपने उपदेशों से कईयों का मनपरिवर्तन किया। बाईबिल
धर्मग्रन्थ में उन्हें प्राचीन व्यवस्थान के अन्तिम नबी तथा प्रभु येसु मसीह के अग्रदूत
रूप में प्रस्तुत किया गया है। 24 जून को योहन बपतिस्ता का पर्व मनाया जाता है तथा उनके
शिराच्छेदन का स्मृति दिवस 29 अगस्त को मनाया जाता है।
चिन्तनः "योहन ने पुकार-पुकार
कर उनके विषय में यह साक्ष्य दिया, ‘‘यह वहीं हैं, जिनके विषय में मैंने कहा- जो मेरे
बाद आने वाले हैं, वह मुझ से बढ़ कर हैं; क्योंकि वह मुझ से पहले विद्यमान थे। उनकी परिपूर्णता
से हम सब को अनुग्रह पर अनुग्रह मिला है। संहिता तो मूसा द्वारा दी गयी है, किन्तु अनुग्रह
और सत्य ईसा मसीह द्वारा मिला है" (सन्त योहन 1:15-17)।