2013-06-24 15:09:37

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 जून 2013 (सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 23 जून को, देवदूत प्रार्थना के पूर्व सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को संबोधित कर संत पापा फ्राँसिस ने कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इस रविवार का सुसमाचार येसु के तीक्ष्ण शब्दों को प्रस्तुत करता है, "जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है वह उसे सुरक्षित रखेगा।" (लूक.9:24)
उन्होंने कहा, "यहाँ येसु ख्रीस्त के संदेश का सार है जो बहुत ही प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया गया है। यह हमें उनके आवाज़ को सुनने की अनुभूति प्रदान करता है, किन्तु ‘येसु के ख़ातिर अपना जीवन खो देने का अर्थ क्या है’?" संत पापा ने कहा, "इसके दो अर्थ हो सकते हैं; पहला, प्रत्यक्ष रुप से विश्वास की अभिव्यक्ति करना तथा दूसरा, परोक्ष रुप से सत्य की रक्षा करना।
ख्रीस्त के लिए अपने जीवन को खोने का उपयुक्त उदाहरण है, शहादत। दो हज़ार वर्षों के दौरान विश्वासियों के विशाल समूह ने येसु ख्रीस्त एवं उसके सुसमाचार में विश्वस्त रहकर अपना जीवन बलिदान कर दिया। आज, दुनिया के कई हिस्सों में, पहली शताब्दी से अधिक शहीद ख्रीस्त के ख़ातिर अपना जीवन अर्पित कर रहे हैं जिन्हें ख्रीस्त का परित्याग नहीं करने के कारण जान गँवानी पड़ रही है। यही कलीसिया की छवि है। आज हमारे पास शुरुआती कलीसिया से अधिक शहीद हैं किन्तु एक दूसरी शहादत है- दैनिक शहादत, जो मृत्यु से नहीं किन्तु ‘नुकसान’ झेल कर ख्रीस्त के लिए अपने कर्तव्यों को प्रेम पूर्वक निभाने के द्वारा प्राप्त होती है।"
संत पापा ने कहा कि येसु के अनुकूल यही त्याग और बलिदान है। हम सोचें, कितने पिता एवं माताएँ हर दिन अपने विश्वास को जीते हुए परिवार की भलाई के लिए त्याग करते हैं। कितने पुरोहित, धर्मबंधु एवं धर्मबहनें ईश्वर के राज्य के लिए उदारता पूवर्क सेवा प्रदान करते हैं। कितने युवा अपनी रुचि का त्याग कर बच्चों, विकलांग एवं बुजुर्गों के लिए समर्पित हैं। ये भी शहादत के उदाहरण हैं, प्रतिदिन के जीवन में शहादत।
बहुत ख्रीस्तीय एवं ग़ैरख्रीस्तीय लोग सच्चाई के लिए अपना जीवन खो देते हैं। ख्रीस्त ने कहा, "मैं सच्चाई हूँ" इसलिए जो सच्चाई की सेवा करते हैं वे ख्रीस्त की सेवा करते हैं। सच्चाई के लिए अपना जीवन अर्पित करने वालों में एक हैं योहन बपतिस्ता, जिनका महापर्व 24 जून को मनाया जाता है, उनके जन्म का महा पर्व। योहन, येसु के पूर्व उनका रास्ता तैयार करने के लिए ईश्वर द्वारा चुने गये थे और उन्होंने मसीह को संसार के पाप हरने वाले ईश्वर के मेमने रुप में इस्राएलियों के समक्ष प्रकट किया। (यो.1:29) योहन ने अपना जीवन पूर्णरूपेण ईश्वर एवं उनके संदेशवाहक येसु को समर्पित किया, किन्तु अंत में क्या हुआ? वे मार डाले गये, जब उन्होंने राजा हेरोद और हेरोदियस के व्यभिचार के पाप की निंदा की तब सच्चाई के खातिर मार डाले गये।
कितने लोग सच्चाई के लिए अपने आप को समर्पित कर देते हैं। कितने विश्वासी लोग अंतःकरण या सत्य की आवाज से इन्कार नहीं करते हुए प्रचलित धारा के विपरीत जाना पसंद करते हैं। धर्मी व्यक्ति जो प्रचलित धारा के विरुद्ध जाने से नहीं डरते हैं, हमें भी नहीं डरना चाहिए।
संत पापा ने उपस्थित युवाओं को संबोधित कर कहा, "धारा के विपरीत जाने से न डरें जब आपकी आशा छिन जाने की आशंका हो, जब प्रस्तावित मूल्य हानिकारक हो गयी हों एवं बर्बाद हो चुकी हो तथा खराब भोजन की तरह हमारे लिए हानिकारक हो जो हमें तकलीफ दे एवं बीमार बना दे, तो हमें अनाज के खिलाफ जाना चाहिए। संत पापा ने कहा, "ऐ युवाओं, "आप प्रचलित धारा के विपरीत जाने के लिए आगे आयें तथा खराब अनाज के खिलाफ जाने में गर्व का अनुभव करें।"
प्रिय मित्रो, हम आनन्द से येसु के वचन को स्वीकार करें, हम प्रत्येक के लिए जीवन के नियम की प्रस्तावना को स्वीकार करें। संत योहन हमें इसे अपने जीवन में उतारने के लिए मदद करें तथा हमारी माता, धन्य कुँवारी मरिया इस रास्ते पर हमेशा हमारे साथ हो। जिन्होंने येसु के लिए क्रूस मरण तक अपना जीवन खो दिया था तथा उसे पुनरुत्थान की पूर्णता, प्रकाश एवं सौंदार्य में प्राप्त कर लिया है। माता मरिया हमेशा सुसमाचार पर चिंतन करने में हमारी मदद करें।
तदुपरांत संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शावाद दिया।
देवदूत प्रार्थना का पाठ समाप्त करने के बाद संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
"प्रिय भाइयो एवं बहनों, अच्छी तरह याद रखें, "धारा के विपरीत जाने से न डरें, साहसी बनें, और जिस प्रकार भोजन जो खराब हो गया है और हम खाने नहीं चाहते, उसी प्रकार उन मूल्यों को अपने साथ न लें जो जीवन में बरबादी लाते और आशा छीन लेते हैं।
इसके पश्चात, संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्याटकों को संबोधित कर कहा, "मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ।"

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगल कामना अर्पित करते हुए प्रार्थना करने का आग्रह किया।








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