वाटिकन सिटीः "जी एट" देशों से सन्त पापा ने कहा सभी राजनैतिक एवं एवं आर्थिक गतिविधियों
का केन्द्र हो मानव
वाटिकन सिटी, 17 जून सन् 2013 (सेदोक): विश्व के सर्वाधिक औद्योगिक राष्ट्रों के संगठन
"जी एट" देशों से सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि सभी राजनैतिक एवं आर्थिक गतिविधियों
का केन्द्र मानव होना चाहिये। 17 तथा 18 जून को आयरलैण्ड के लाफ एर्न में जी एट
देशों का शिखर सम्मेलन जारी है। जी एट देशों के कार्यकारी अध्यक्ष ब्रिटेन के प्रधान
मंत्री डेविड कैमरून ने शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि में सन्त पापा फ्राँसिस को एक पत्र
लिखकर विश्व में निर्धन एवं विकासशील देशों के पक्ष में ब्रिटेन के कार्यों का विवरण
दिया था। इसी पत्र के उत्तर में 15 जून को सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रधान मंत्री डेविड
कैमरून को पत्र लिखकर इस बात पर बल दिया कि विश्व के धनी और औद्योगिक देश मानव कल्याण
को ध्यान में रखकर राजनैतिक एवं आर्थिक नीतियाँ बनायें। सन्त पापा ने लिखा, "इस बात
का आश्वासन मिलना चाहिये कि हर राजनैतिक एवं आर्थिक गतिविधि, चाहे वह राष्ट्रीय हो अथवा
अन्तरराष्ट्रीय, मानव पर केन्द्रित हो। वस्तुतः, इन गतिविधियों को एक ओर, समुदायों एवं
व्यक्तियों की स्वतंत्रता एवं रचनात्मकता की अभिव्यक्ति होनी चाहिये तो दूसरी ओर, विशेष
रूप से, निर्धनों के प्रति एकात्मता को प्रोत्साहन देना चाहिये।" सन्त पापा ने कहा
कि धन, राजनीति एवं आर्थिक निकाय का लक्ष्य शासन करना नहीं अपितु सेवा करना होना चाहिये।
प्रधान मंत्री डेविड कैमरून को लिखे पत्र में सन्त पापा ने सिरिया में शांति स्थापना
का भी आह्वान किया। उन्होंने लिखा कि जी एट देश, "मध्य पूर्व और, विशेष रूप से, सिरिया
की स्थिति को नज़रअन्दाज़ नहीं कर सकते।" सन्त पापा ने आशा व्यक्त की कि जी एट देशों
का शिखर सम्मेलन सिरिया के समस्त युद्धरत दलों को स्थायी युद्ध विराम हेतु समझौते की
मेज़ पर लाने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा, "महिलाओं, बच्चों एवं अन्य निर्दोष व्यक्तियों
की सुरक्षा तथा सिरिया में व्याप्त क्षुधा को पराजित करने के लिये शांति एक अपरिहार्य
आवश्यकता है।"