वाटिकन सिटीः क्षुधा एवं निर्धनता ईश्वर के बहिष्कार का परिणाम, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 10 जून सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि विश्व में व्याप्त
क्षुधा एवं निर्धनता ईश्वर के बहिष्कार का परिणाम है। रविवार, 09 जून, को इटली के
रोम, नेपल्स एवं वेरोना शहरों के दस चौकों में इटली के काथलिकों ने एकत्र होकर ईश्वर
के दस नियमों पर चिन्तन किया। "10 नियमों के लिये 10 चौक", शीर्षक से इस पहल का आयोजन
इटली के कलीसियाई अभियान द्वारा इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन तथा नवीन सुसमाचार उदघोषणा
हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के सौजन्य से किया गया था। रोम, नेपल्स तथा वेरोना
शहरों के दस चौकों में एकत्र इताली काथलिकों को विडियो के माध्यम से सम्बोधित कर, सन्त
पापा ने ईश्वर के दस नियमों का मर्म समझाया। उन्होंने कहा कि ईश्वर के दस हुक्म ईश्वर
द्वारा मनुष्य को प्रदत्त वरदान हैं। उन्होंने कहा, ........"नियम शब्द लोकप्रिय शब्द
नहीं है; आज के मानव के लिये यह एक नकारात्मक तत्व है, एक प्रकार से यह सीमाओं को बाँधनेवाला
शब्द है, जीवन में बाधा डालनेवाला शब्द।" तथापि, उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश, आज भी मानव
इतिहास तानाशाही और ऐसी विचारधाराओं से चिन्हित है जिन्होंने मानव का दमन किया, जिन्होंने
मानव कल्याण के लिये कुछ नहीं किया बल्कि केवल अपने लिये सत्ता, सफलता एवं लाभ की खोज
की। किन्तु दस नियम ईश्वर द्वारा दिये गये हैं जिन्होंने अपने प्रेम के कारण हमारी सृष्टि
की। ये उन ईश्वर की देन है जिन्होंने मानव के साथ एक सन्धि की, उन ईश्वर की देन जो केवल
मनुष्य का भला चाहते हैं।" सन्त पापा ने अनुरोध किया कि हम प्रभु ईश्वर पर भरोसा रखें,
उनमें अपने विश्वास की अभिव्यक्ति करें जिसके लिये दस नियम हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
उन्होंने कहा कि दस नियम एक प्रकार से मानव जीवन की "नीति संहिता" है जिनका पालन कर मानव
के अनुकूल न्यायसंगत समाज की रचना की जा सकती है। उन्होंने कहा, ..."विश्व में कितना
अधिक भेदभाव और असमानता है! भोजन और सत्य की कितनी भूख है! ईश्वर के बहिष्कार से तथा
उनके स्थान पर अन्य आदर्शों को रखने से कितनी नैतिक एवं भौतिक निर्धनता उत्पन्न होती
है! ईश्वर के दस नियमों से हम मार्गदर्शन ग्रहण करें जो शांति, न्याय एवं मानव प्रतिष्ठा
की खोज करनेवालों को आलोकित करते तथा सही दिशा की ओर अभिमुख करते हैं।"