वाटिकन सिटीः आध्यात्मिक जीवन आन्तरिक स्वतंत्रता का स्रोत, सन्त पापा फ्रांसिस
वाटिकन सिटी, 06 जून सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस का कहना है कि आध्यात्मिक
जीवन आन्तरिक स्वतंत्रता का स्रोत है। गुरुवार को वाटिकन में सन्त पापा ने परमधर्मपीठीय
कलीसियाई अकादमी के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें अपना सन्देश दिया। परमधर्मपीठीय
कलीसियाई अकादमी वाटिकन तथा परमधर्मपीठ की कूटनैतिक सेवा हेतु पुरोहितों को प्रशिक्षण
प्रदान करती है जो विश्व के विभिन्न देशों में परमधर्मपीठीय प्रेरितिक राजदूतावासों एवं
मिशनों में सेवाएँ अर्पित करते हैं। अकादमी के प्रतिनिधियों को दिये अपने सन्देश
में सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया के राजनयिक मिशन में सेवा अर्पित करने के लिये सुदृढ़
आध्यात्मिक जीवन तथा आन्तरिक स्वतंत्रता का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आन्तरिक
स्वतंत्रता का अर्थ है उदार रहते हुए अपनी योजनाओं के बजाय जनकल्याण के बारे में सोचना।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति आन्तरिक रूप से स्वतंत्र तब ही हो सकता है जब वह स्वार्थ
रहित हो, जब वह उदारतापूर्वक अन्यों का स्वागत करे, उनकी संस्कृति एवं परम्परा का आदर
करे तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण हर अवस्था में मानव प्रतिष्ठा को बरकरार रखने हेतु प्रयासरत
रहे। सन्त पापा ने कहा कि विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में राजनयिक मिशन के लिये प्रेषित
किये जानेवाले पुरोहितों को अपने विचारों, अपनी योजनाओं और व्यक्तिगत रुचियों पर ध्यान
नहीं देना चाहिये बल्कि ख्रीस्त के अनुयायियों के बीच एकता तथा अन्य धर्मों के लोगों
के साथ मैत्री, सम्वाद एवं मेलमिलाप पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये। उन्होंने कहा कि
उन्हें उन स्थलों पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ करनी चाहिये जहाँ कलीसिया एवं मानव जाति को
उनकी नितान्त आवश्यकता है। सन्त पापा ने अकादमी के प्रतिनिधि पुरोहितों से आग्रह
किया कि अपने मिशन के सम्पादन हेतु वे सतत् प्रार्थना द्वारा अपने आध्यात्मिक जीवन को
पोषित करें क्योंकि ऐसा कर ही वे स्वार्थ एवं अहंकार से मुक्ति पा सकेंगे तथा ज़रूरतमन्दों
की सहायता के लिये उदार हो सकेंगे।