वाटिकन सिटीः युद्ध मानवता की आत्महत्या है, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 03 जून सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने युद्ध की निन्दा करते हुए
कहा है कि "युद्ध मानवता की आत्महत्या है क्योंकि वह मानव मन एवं प्रेम को मार डालता
है।" वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में रविवार को ख्रीस्तयाग
के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने युद्ध के बहिष्कार का आह्वान किया। रविवार, 02
जून को इटली में गणतंत्र दिवस मनाया गया। इसी के उपलक्ष्य में सन्त पापा द्वारा अर्पित
ख्रीस्तयाग में, विगत पाँच वर्षों के दौरान, युद्ध में शहीद हुए इताली सैनिकों के लगभग
80 परिजनों एवं रिश्तेदारों ने भाग लिया। ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने कहा
कि प्रभु ईश्वर हममें से प्रत्येक की प्रार्थना सुनते हैं। उन्होंने कहा "हमारे ईश्वर
महान और छोटे सबके ईश्वर हैं, हमारे ईश्वर व्यक्तिगत हैं, वे हर किसी की प्रार्थना को
मन से सुनते तथा हृदय की अतल गहराई से मनुष्य से प्रेम करते हैं।" सैनिकों के परिजनों
से सन्त पापा ने कहा, "आज हम अपने मृतकों एवं घायलों के लिये विनती करने आये हैं। उनके
लिये विनती करने जो युद्ध के दिवालियापन के शिकार बने। युद्ध मानवता की आत्महत्या है
क्योंकि वह हृदय को मार डालता है, युद्ध ईश्वर के सन्देश अर्थात् प्रेम को मार डालता
है।" युद्ध के बहिष्कार का आह्वान कर सन्त पापा ने कहा, "युद्ध घृणा से, ईर्ष्या
से तथा सत्ता की होड़ से उत्पन्न होता है और हमने बहुत बार देखा है कि वह सत्ता तथा और
अधिक सत्ता की हवस से उत्पन्न होता है।" सन्त पापा ने कहा, "प्रायः हमने देखा है कि
विश्व के कथित बड़े लोग स्थानीय तथा आर्थिक समस्याओं को युद्ध द्वारा सुलझाना चाहते हैं
क्योंकि, उनके लिये, लोगों से अधिक, धन महत्वपूर्ण होता है तथा युद्ध वही है, धन में
विश्वास, घृणा में विश्वास जो, भाई को भाई की हत्या करने के लिये उकसाता है।" सभी
से सन्त पापा आग्रह किया कि वे घृणा एवं ईर्ष्या का परित्याग कर प्रभु ईश्वर की करुणा
में विश्वास करें तथा सब प्रकार की हिंसा के बहिष्कार का प्रण करें।