"देवदूत" प्रार्थना से पूर्व संत पापा फ्राँसिस के संदेश
वाटिकन सिटी, सोमवार, 3 जून 2013 (वीआर सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के
प्राँगण में, रविवार 2 जून को, "देवदूत" प्रार्थना से पूर्व, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों
को सम्बोधित कर संत पापा फ्राँसिस ने कहा : "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, वृहस्पतिवार
को हमने ख्रीस्त देह का महापर्व मनाया, जिसको इटली एवं अन्य देशों ने इसी रविवार को मनाया।
यह पवित्र युखरिस्त का महापर्व है ख्रीस्त के शरीर और रक्त का संस्कार है।" संत पापा
ने आज के लूकस रचित सुसमाचार पर अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा, "सुसमाचार हमें रोटियों
के चमत्कार की कहानी बताता है। (लूक.9: 11-17) मैं सुसमाचार के उस पहलू पर प्रकाश डालना
चाहता हूँ जो मुझे छूता और चिंतन के लिए प्रेरित करता है।" संत पापा ने रोटियों के चमत्कार
के वृतांत का रहस्य समझाते हुए कहा, ‘हम गलीलिया के झील के किनारे हैं, शाम हो रही है,
येसु हज़ारों की संख्या में उनके साथ कई घंटों तक शिक्षा सुनने वाले भूखे लोगों की चिंता
करते हैं। उधर चेले इस समस्या पर विचार कर रहे है कि क्या करें। तब वे येसु से कहते
हैं कि ‘भीड़ को भेज दिया जाए जिससे वे नज़दीक के गाँवों में जाकर भोजन खरीद लें। लेकिन
येसु उनसे कहते हैं, ‘तुम उन्हें कुछ खाने को दो। (प.13) शिष्य चकित होकर जवाब देते हैं,
‘हमारे पास केवल पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं,’ मानो कहना चाह रहे हों, ‘यह केवल हमारे
लिए पर्याप्त है।’ संत पापा अपने चिंतन में आगे कहते हैं, "येसु जानते थे कि क्या
करना है, पर वे अपने चेलों को सहभागी बनाना और उन्हें शिक्षा देना चाहते हैं। चेलों का
व्यवहार मानवीय है जो यथार्थ समाधान की खोज करता है, जो अधिक समस्याओं को उत्पन्न न करे।
कहते हैं भीड़ को विदा कर दीजिए, हर कोई अपनी अपनी चिंता करे आपने पहले ही उनके लिए बहुत
कुछ कर दिया है। अब भीड़ को विदा कर दीजिए। येसु का स्वभाव उनसे बिलकुल भिन्न है
वे पिता से संयुक्ति एवं लोगों के प्रति दया भाव से प्रेरित हैं। वही दया हम सबके लिए
है, येसु हमारी समस्याओं को सुनते हैं, हमारे कमजोरियों को महसूस करते हैं तथा हमारी
आवश्यकताओं को महसूस करते हैं। येसु उन पाँच रोटियों के द्वारा विधाता पर भरोसा रखने
की शिक्षा अपने चेलों को देते हैं कि किस प्रकार थोड़ी मात्रा से ईश्वर प्रत्येक की आवश्यकता
पूर्ति कर सकते हैं। येसु पूर्णतया स्वर्गिक पिता पर भरोसा रखते हैं कि उनके द्वारा सब
कुछ सम्भव है, इसलिए चेलों को आदेश देते हैं कि लोगों को पचास-पचास का दल बना कर बैठा
दें। संत पापा ने कहा कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी क्योंकि इसका अर्थ है कि वे
अब एक भीड़ नहीं रह गये हैं, किन्तु वे एक समुदाय बन गये हैं जो ईश्वर की रोटी से पोषित
हैं। इतना कहकर येसु ने रोटी और मछली लेकर स्वर्ग की ओर आँखें उठायीं, धन्यवाद की प्रार्थना
पढ़ी- यह स्पष्टतः पवित्र यूखरिस्त का सन्दर्भ देता है, फिर उन्होंने उसे तोड़ा तथा शिष्यों
को दिया और शिष्य ने भी रोटियों तथा मछलियों को तोड़कर लोगों के बीच बाँटा जो समाप्त
ही नहीं हुई। संत पापा कहते हैं कि यही चमत्कार है, विश्वास एवं प्रार्थना से अनुप्राणित
वृद्धि एवं सहभागिता।सब ने खाया और भोजन बच गया: यह येसु का चिन्ह है जो मानव जाति के
लिए ईश्वर की रोटी हैं। शिष्यों ने देखा किन्तु येसु की शिक्षा को पूरी तरह समझ नहीं
पाये। भीड़ की तरह वे भी सफलता के उत्साह में गुम हो गये। संत पापा ने पर्व के संबंध
में कहा, ख्रीस्त के पावन देह का महापर्व हमें ईश्वर पर विश्वास करने हेतु आमंत्रित करता
है ताकि हम जो हैं और हमारे पास जो कुछ है उसे बांटने के लिए तत्पर रहें। यह हमें अपने
आप में हमेशा बंद नहीं हो जाने की शिक्षा देता है। संत पापा ने इस मनपरिवर्तन के
लिए माता मरियम से प्रार्थना की ताकि सचमुच में येसु का अधिकाधिक अनुसरण करें जिसकी हम
युखरीस्त में आराधना करते हैं। तत्पश्चात संत पापा फ्रासिस ने भक्त समुदाय के साथ
देवदूत प्रार्थना का पाठ कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। इस प्रार्थना के
उपरांत संत पापा ने सीरिया के लिए अपील करते हुए कहा: "प्रिय भाइयो एवं बहनो, सीरिया
में दो वर्षों से चल रहे संघर्ष से प्रभावित एवं उसके शिकार हुए लोगों के प्रति मेरी
चिंता है जो न्याय, शांति और समझदारी की आस लगाये हैं। युद्ध अपने साथ; मृत्यु, विनाश,
आर्थिक दबाव और पर्यावरण की क्षति जैसे दुखद परिणामों को लेकर आता है और साथ ही साथ व्यक्तियों
के अपहरण के घावों को भी। इन घटनाओं की निन्दा करते हुए मैं अपहृत लोगों तथा उनके परिवारों
के प्रति एकात्मकता दर्शाता तथा प्रार्थना करता हूँ। अपहरण करने वालों की मानवीयता का
आह्वान कर मैं बंधक बनाये गये सभी लोगों की रिहाई का आग्रह करता हूँ। अपने प्रिय सीरिया
के लिए निरंतर प्रार्थना करते रहें। संत पापा ने आगे कहा कि दुनिया में संघर्ष की
कई स्थितियाँ हैं किन्तु उनके हल की आशा भी है। मैं इस समय लातीनी अमरीका द्वारा समझौता
और शांति के लिए उठाये गये कदम को प्रोत्साहन देता हूँ। हम अपनी प्रार्थना के साथ उनका
अनुसरण करें। आज सुबह मैंने इटली के सैनिकों एवं शांति के मिशन पर कार्यरत लोगों
के लिए पवित्र ख्रीस्तयाग अपित किया। जिन देशों में भाइयों के बीच युद्ध है उनमें आपसी
समझौते और शांति को बढ़ावा मिले। संत पापा ने कहा, "आप जो शांति से अर्जित करते हैं
वह सब युद्ध में खो जाता है।" संत पापा ने घायलों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना
करने का आग्रह किया तथा पूरे भक्त समुदय के साथ उनके लिए मौन प्रार्थना की। प्रार्थना
समाप्त करने के बाद संत पापा ने विभिन्न देशों से आये सभी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों
को शुभ रविवार की शुभकामना दी।