वाटिकन सिटीः ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को हतोत्साहित नहीं होना चाहिये, सन्त पापा फ्रांसिस
वाटिकन सिटी, 01 जून सन् 2013 (सेदोक): पवित्रआत्मा ख्रीस्तीय आनन्द के स्रोत हैं तथा
सुसमाचार उदघोषणा के लिये ख्रीस्तानुयायियों के हृदयों में आनन्द और उल्लास का होना अनिवार्य
है। वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में, शुक्रवार को ख्रीस्तयाग के
अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने यह बात कही। सन्त पापा ने कहा, "आनन्द
और उल्लास के स्रोत पवित्रआत्मा हमें प्रेरित करते हैं। पवित्रआत्मा का आनन्द ही हमें
यथार्थ ख्रीस्तीय स्वतंत्रता प्रदान करता है।" सन्त पापा ने कहा, "बिना हर्षोंल्लास
के हम ख्रीस्तीय स्वतंत्र नहीं हो सकते, हम अपने दुखों के दास बन जाते हैं। महान सन्त
पापा पौल षष्टम कहा करते थे कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी दुखी, आशाविहीन एवं हतोत्साहित
होकर सुसमाचार का प्रसार कभी भी नहीं कर सकेंगे।" इस बात पर बल देते हुए कि ख्रीस्त
के अनुयायियों को हर अवस्था में खुश रहना चाहिये सन्त पापा ने कहा, "प्रायः ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों का आचार व्यवहार ऐसा होता है मानों वे किसी शवयात्रा में जा रहे हों,
ईश्वर की आराधना करने नहीं। जबकि ईश्वर की आराधना करने और उनकी स्तुति करने से ही मन
में यथार्थ आनन्द का संचार होता है।" सन्त पापा ने कहा कि केवल कुछ मांगने के लिये
ही प्रार्थना करना उचित नहीं है अपितु हमारी प्रार्थना धन्यवाद ज्ञापन एवं ईश स्तुति
हेतु भी होनी चाहिये।