2013-05-31 12:25:03

रोमः सन्त पापा ने ज़रूरतमन्दों के प्रति एकात्मता का किया आह्वान


रोम, 31 मई सन् 2013 (सेदोक): रोम स्थित सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर के प्राँगण में, गुरुवार को, ख्रीस्त की देह महापर्व के उपलक्ष्य में अर्पित ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन करते हुए, सन्त पापा फ्राँसिस ने ज़रूरतमन्दों के प्रति एकात्मता का आह्वान किया।
सन्त पापा कहा, "एकात्मता का अर्थ है जो कुछ हमारे पास है उसे ईश्वर एवं पड़ोसी की सेवा में अर्पित करना।" उन्होंने कहा कि एकात्मता का अर्थ है येसु का अनुसरण करना जो यथार्थ भोजन बनकर हमारे जीवन को पोषित करते तथा कठिनाइयों के क्षणों में भी हमें समर्थन प्रदान करते हैं।
चन्द रोटियों एवं मछलियों से विशाल जनसमुदाय को भोजन प्रदान करने के सुसमाचार पाठ पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि येसु का उपदेश समाप्त होने पर जब लोगों को भोजन प्रदान करने की समस्या खड़ी हुई तब शिष्यों ने जनसमुदाय को विदा करने की बात कही किन्तु येसु ने इस बात पर बल दिया कि जो कुछ उनके पास था उसे सबमें बाँटा जाये।
सन्त पापा ने कहा कि शिष्यों ने जनसमुदाय की ज़रूरतों को नज़रअन्दाज़ किया जबकि येसु ने उन्हें भोजन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि प्रायः हम भी अन्यों की ज़रूरतों के प्रति असंवेदनशील बन जाते हैं, उनकी ज़रूरतों के प्रति उदासीन हो जाते हैं।
सन्त पापा ने प्रश्न कियाः "कितनी बार हम ख्रीस्तीय लोग इस प्रलोभन में पड़े हैं? अन्यों की आवश्यकताओं की परवाह न कर कितनी बार हम तुच्छभाव से उन्हें यह कहकर टाल देते हैं कि ईश्वर तुम्हारी मदद करें।" जबकि, प्रभु येसु का उत्तर विपरीत दिशा में जाता है, ऐसी दिशा जो शिष्यों को आश्चर्यचकित कर देता हैः "इन्हें खाने के लिये कुछ दो।"
सन्त पापा ने कहा कि शिष्यों के पास केवल पाँच रोटियाँ एवं दो मछलियाँ थीं किन्तु येसु हतोत्साहित नहीं हुए बल्कि उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि वे जनसमुदाय को बैठाये तथा ख़ुद उन्हें भोजन दें। सन्त पापा ने कहा कि येसु के वचन का अर्थ स्पष्ट है कि जो कुछ हमारे पास है उसे हम केवल अपने लिये ही न रखें बल्कि उसे अन्यों में, विशेष रूप से, ज़रूरतमन्दों में बाँट। यही है ख्रीस्तीय सहभागिता।
ख्रीस्तयाग के उपरान्त सन्त पापा फ्राँसिस ने सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर से, रोम के मरियम महागिरजाघर तक, दो किलो मीटर पैदल चलकर, ख्रीस्त की देह के आदर में शोभायात्रा का नेतृत्व किया जिसमें रोम धर्मप्रान्त के पुरोहित समुदाय सहित लगभग 50,000 श्रद्धालुओं ने भाग लिया।









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