पत्र- 1.5.2013 बिहार स्थित भागलपुर,
प्रियदर्शिनी रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष डॉ. हेमंत कुमार। "वॉइस ऑफ हार्ट" मुख
में चुप्पी बहुत सारी मुश्किलताओं को टाल सकता है। लेकिन मुख में मुस्कान सारी मुश्किलताओं
का हल कर सकता है। इसलिए हमेशा मीठी मुस्कान बनाये रखिए।
पत्र- 27.4.2013 बिहार
के पूर्वी चम्पारण से सियोन रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष राम विलास प्रसाद। सेवा
में, श्रोताओं के पत्र कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले भाई-बहन जी को हमारे तरफ से प्यार
भरा नमस्कार। 15 दिसम्बर को शाम में प्रसारित कार्यक्रम "रविवारीय धर्मग्रंथ बाइबल एक
परिचय" के तहत पुजन विधि आगमन काल के संदेश के बारे में सुन कर बहुत अच्छा लगा और शिक्षा
भी प्राप्त हुई कि यदि हमारे पास दो कुर्ता है तो एक कुर्ता जिसके पास नहीं है उसे दे
देना चाहिए। हमारा दिल सुन्दर होना चाहिए, सबसे एक समान प्यार करना चाहिए, तभी हमारे
प्रभु येसु खुश होंगे, हमें प्यार करेंगे और हमारी कठिनाई में हमारी मदद मिलेगी।
पत्र
- 1.5.2103 बिहार स्थित भागलपुर से प्रियदर्शिनी रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष
डॉ. हेमंत कुमार। भारत आजादी से लेकर अब तक सीमा विवाद में फंसा है। पाकिस्तान ही
नहीं बँगला देश, नेपाल, चीन और श्रीलंका के साथ अभी हमारे संबंध अच्छे नहीं कहे जा सकते
हैं। ऐसा क्यों होता है कि छोटा से छोटा देश भी हमारी सीमा पर इतना दबाव बनाने में कामयाब
हो जाते हैं। ये सवाल आज हर भारतीय की ज़बान पर है। क्या दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र
देश में इतनी हिम्मत नहीं कि वह अपनी विदेश नीति को ठीक कर सके, क्या सरकार में इतनी
काबिलीयत नहीं कि घुस पैठियों पर रोक लगा सके। आखिर हमारी सरकार पिछले 65 सालों से क्या
कर रही है। क्या उसे घोटाले से इतनी भी फुर्सत नहीं मिल रही कि वह देश के हित के बारे
में सोच सके, हर नागरिक को सोचना होगा आखिर हम कैसे लोगों को चुनकर भेज रहे हैं जो हमारे
देश को खोखला बनाता जा रहा है।
पत्र - 2.5.2013 कृपाराम कागा मैं वाटिकन
रेडियो का नियमित श्रोता मित्र हूँ आपकी वैबसाइट अच्छी है। आप क्विज़ खोलें। पत्र
- 5.5.2013 बिहार स्थित भागलपुर से प्रियदर्शिनी रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष
डॉ. हेमंत कुमार। बलत्कार की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। सरकार इसके खिलाप भी
सक्त नियम बना दिया है। लेकिन सिर्फ कानून बना देने से अपराध खत्म हो जाने वाला नहीं
है। जरूरत है इस मुद्दे पर जन जन को जागरुक करने की । ये कार्य हम सामाजिक या व्यक्तिगत
रुप से भी शुरु कर सकते हैं। ये हमारी ज़िम्मेदारी है। अगर हमें इस अपराध से समाज को
मुक्त करना है तो सबसे पहले खुद ही ज़िम्मेदारी उठानी होगी।