2013-05-29 13:34:41

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, कलीसिया ईश्वर का परिवार


वाटिकन सिटी, बुधवार 29 मई 2013 (बीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, बुधवार 29 मई को साप्ताहिक आम दर्शन समारोह के अवसर पर अपने धर्म शिक्षा माला में "कलीसिया ईश्वर का परिवार" विषय पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए उपस्थित भक्त समुदाय से कहा:

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
"पिछले सप्ताह मैंने पवित्र आत्मा और कलीसिया के बीच अटूट संबंध पर चिंतन प्रस्तुत किया। आज मैं कलीसिया के रहस्य पर चिंतन करना चाहता हूँ। यह एक ऐसा रहस्य है जिसमें हम जीते और जिसके हम अंग हैं। मैं इसे द्वितीय वाटिकन महासभा के पाठों में निहित अभिव्यक्तियों से करना चाहता हूँ।"

ईश्वर के परिवार रुप में कलीसिया
संत लूकस रचित सुसमाचार से "उड़ाऊ पुत्र के दृष्टांत" के संदर्भ में संत पापा ने पिता ईश्वर के प्रेम को समझाते हुए कहा, "पिछले महीनों कई बार मैंने उड़ाऊ पुत्र या दयालु पिता के दृष्टांत पर चिंतन किया।(लूक.15:11-32) छोटा बेटा अपने पिता का घर छोड़कर चला जाता है, वह सब कुछ उड़ा कर समाप्त कर देता और अंत में पिता के पास वापस लौटने का निश्चय करता है क्योंकि उसे एहसास होता है कि उसने गलती की है। उसे लगा कि वह अपने पिता का पुत्र कहलाने लायक नहीं रह गया है अतः एक नौकर रुप में पिता के पास लौटना चाहता है। इधर पिता अपने पुत्र को दूर से ही देखकर दौड़ पड़ता है और उसका आलिंगन कर उसे बेटे का दर्जा देता है। इस खुशी में उत्सव भी मनाया जाता है। सुसमाचार का यह दृष्टांत दूसरे दृष्टांतों के समान पिता के प्रेम को प्रदर्शित करता है।

ईश्वर की योजना क्या है? ईश्वर की योजना हम सब को एक परिवार में ईश संतान बनाने की है जिसमें सभी एक दूसरे से करीबी का अनुभव करें, उनके द्वारा प्यार किये जाने का अनुभव करें जैसे कि सुसमाचार के दृष्टांत में ईश परिवार के सदस्य होने का अनुभव करने का उदाहरण दिया गया है जिसका स्रोत कलीसिया में मिलता है। कलीसिया कुछ व्यक्तियों के बीच सम्पन्न समझौता नहीं है बल्कि वह ईश्वर का कार्य है जैसे कि संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने बारम्बार स्मरण कराया है। कलीसिया कोई संगठन नहीं है बल्कि वह ईश्वर की प्रेम योजना का फल है जो इतिहास के अंतराल में पूरी होती गई है।
आज भी बहुत से लोग ख्रीस्त को ‘हाँ’ और कलीसिया को ‘नहीं’ कहते हैं। किन्तु कलीसिया ही हमें ख्रीस्त तक तथा ईश्वर तक हमारा मार्गदर्शन करती है। कलीसिया ईश्वर के बेटे-बेटियों का एक वृहद परिवार है। यह सच है कि कलीसिया का एक मानवीय पहलू भी है। वह मेषपालों और विश्वासियों से निर्मित है इसलिए इसमें खामियाँ हैं, सीमाएँ हैं, पाप हैं किन्तु जब हमें अपने पापों का एहसास होता है तभी हम ईश्वरीय करुणा को प्राप्त करते हैं क्योंकि ईश्वर सदैव हमें क्षमा करते तथा प्रेम पूर्वक हमारा आलिंगन करते हैं।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया इस ईश्वरीय योजना का मौलिक अंश है। हम ईश्वर को जानने और प्यार करने के लिए बनाये गये हैं। हमारे पापों के बावजूद ईश्वर हमें लगातार अपनी ओर लौट आने के लिए कहते हैं। उन्होंने निश्चित समय में अपने पुत्र येसु ख्रीस्त को क्रूस बलिदान द्वारा, मानव जाति के साथ नवीन एवं अनन्त व्यवस्थान स्थापित करने के लिए इस दुनिया में भेजा। कलीसिया की स्थापना ईश्वर के इसी प्रेम समझौते का महान कार्य है। कलीसिया की स्थापना येसु के छिदे हृदय से बहते रक्त और पानी द्वारा हुई है। पेंतेकोस्त में पवित्र आत्मा प्रेरितों को ईश्वर के प्रेमपूर्ण सुसमाचार को दुनिया के अंत तक उदघोषित करने के लिए भेजते हैं। ख्रीस्त कलीसिया से कभी अलग नहीं हो सकते जिसे उन्होंने ईश्वर के पुत्र-पुत्रियों का बड़ा परिवार बनाया है। आइये, आज हम कलीसिया के प्रति अपने प्रेम को नवीकृत करें तथा उसे ईश्वर का सच्चा परिवार बनाये, जहाँ, सभी लोग स्वीकृति, प्यार एवं समझदारी का अनुभव करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने उपस्थित समुदय के प्रति शुभकामनाएँ अर्पित की तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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