याँगोनः दो बच्चों वाले विधान में रोहिंगिया मुसलमान बने भेदभाव का शिकार
याँगोन, 29 मई सन् 2013 (एशियान्यूज़): म्यानमार में विपक्षी दल की नेता और नोबेल पुरस्कार
विजेता आऊँग सान सूकी ने कहा है कि ऱाखिन राज्य में प्रस्तावित दो बच्चों वाला विधान
रोहिंगिया जाति के लोगों के विरुद्ध भेदभाव है। म्यानमार के राखिन राज्य में हाल
में सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर साम्प्रदायिक हिंसा को नियंत्रण में रखने, परिवार नियोजन
के तहत, दो बच्चों वाले विधान की प्रस्तावना कर दी। विपक्षी नेता आऊँग सान सूकी ने
कहा कि यदि उक्त अध्यादेश विधान में परिणत होता है तो रोहिंगिया जाति के लोगों के मानवाधिकारों
का घोर उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि वे इस विवादास्पद विधान का विरोध करती हैं जो पहले
पूर्व सैन्य शासन द्वारा प्रस्तावित किया गया था और अब राखिन राज्य के अधिकारियों द्वारा
पुष्ट किया गया है। राखिन राज्य के अधिकारियों का कहना है कि साम्प्रदायिक हिंसा
को रोकने के लिये उन्होंने उक्त अध्यादेश की प्रस्तावना की है। यह विधान केवल राखिन राज्य
में लागू होगा जहाँ की अधिकांश जनता इस्लाम धर्मानुयायी है तथा जिनमें बहुपत्नी विवाह
का प्रचलन है। मंगलवार को पत्रकारों से श्रीमती सूकी ने कहा कि वे इस बात की पुष्टि
नहीं कर सकती थीं कि विधान लागू हो गया है अथवा नहीं, तथापि, यह कह सकती हैं कि यह "अवैध"
है। उन्होंने कहा, "यह एक भेदभावपूर्ण नियम है तथा मानवाधिकारों के अनुकूल नहीं है। ग़ौरतलब
है कि विगत माहों में म्यानमार के राखिन राज्य में बर्मा के बौद्ध धर्मानुयायियों एवं
रोहिंगिया मुसलमानों के बीच दंगे होते रहे हैं जिनमें कम से कम 200 व्यक्तियों की मृत्यु
हो गई है तथा लगभग एक लाख चालीस हज़ार लोग विस्थापित हो गये हैं।