"देवदूत" प्रार्थना से पूर्व संत पापा फ्राँसिस के संदेश
वाटिकन सिटी, सोमवार, 27 मई 2013 (वीआर सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के
प्राँगण में, रविवार 26 मई को, "देवदूत" प्रार्थना से पूर्व, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों
के समुदाय को सम्बोधित कर संत पापा फ्राँसिस ने कहा: अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,
आज मैंने रोम धर्मप्रांत के एक पल्ली का दौरा किया। मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ तथा
रोम की कलीसिया में मेरी मेषपालीय सेवा के लिए आप से प्रार्थना की अपील करता हूँ जिनका
मिशन विश्वव्यापी उदारता में भी योगदान देना है। संत पापा ने पवित्र तृत्व के रहस्य
और हमारे प्रति उनके प्रेम का अर्थ समझाते हुए कहा, "आज पवित्र तृत्व का महापर्व है।
पास्का एवं पेंतेकोस्त का प्रकाश प्रत्येक वर्ष हममें विश्वास की खुशी और आश्चर्य को
नवीकृत करता है जिसके द्वारा हम जानते हैं कि ईश्वर कोई अस्पष्ट तथ्य नहीं। वह निराकार
नहीं है किन्तु उनका एक नाम है-"ईश्वर प्रेम है।" यह भावनात्मक और भावुक प्यार नहीं है
पर एक पिता का प्यार है जो जीवन का स्रोत है, पुत्र का प्यार जो क्रूस पर मर गये और पुनः
जी उठे, पवित्र आत्मा का प्यार जो मानव और दुनिया को नवीन करता है। ईश्वरीय प्रेम पर
विचार करना अति उत्तम है क्योंकि यह हमें प्रेम करना सिखाता है अर्थात् अपने को दूसरों
के लिए देना जैसे येसु ने हमें अपने आप को दिया। वे आज भी जीवन की राह पर हमारे साथ चलते
हैं।" "पवित्र तृत्व मानवीय तर्क का फल नहीं है यह ईश्वर का वह चेहरा है जिसके द्वारा
उन्होंने अपने आप को प्रकट किया, अपने सर्वोच्च सिंहासन से नहीं बल्कि, मनुष्य के साथ-साथ
चलते हुए। यह इस प्रकार है, येसु ने पिता को प्रकट किया और पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा
की। ईश्वर ने इसराएलियों को अपनी प्रजा बना कर, उनके इतिहास में उनके साथ यात्रा की।
पवित्र आत्मा एक आग है जो हमें उन चीजों को सिखाता है जिन्हें हम नहीं जानते। वह हमारा
मार्ग दर्शन करता तथा उत्तम कार्य के लिए प्रेरणा देता है। आज हम ईश्वर की उनके
इस विशेष रहस्य के लिए प्रशंसा करते हैं; उनके अस्तित्व के लिए तथा अपार महिमा के लिए
जैसा कि आज धर्मविधि भजन कहता है, "प्रभु, मैं सारे हृदय से तुझे धन्यवाद दूँगा। मैं
तेरे सब अपूर्व कार्यों का बखान करूँगा।" क्योंकि वह प्रेम है, वह अपनी अनन्त जीवन की
सहभागिता में हमें बुलाता है। अन्त में संत पापा ने माँ मरियम से प्रार्थना की, उन्होंने
कहा हमारे स्तुतिगान हम कुँवारी मरिया के हाथों सिपुर्द करें। माता मरिया सभी सृष्ट
जीवों में सबसे विनीत हैं। येसु के कारण वे हमसे पहले पृथ्वी की तीर्थयात्रा को पार कर
चुकी हैं। वे तृत्व की महिमा में विराजमान हैं इसीलिए माता मरियम हमारी माँ दृढ़ आशा
रुप में, हमारे लिए प्रतिबिम्बित होती हैं। आशा की रानी मरियम हमारी तीर्थयात्रा में,
हमारे जीवन पथ पर, हमें आराम देने वाली माँ है, सांत्वना की माँ है, अपनी तीर्थयात्रा
में आगे बढ़ते हुए हम मिलकर माता मरिया से प्रार्थना करें। इतना कहने के बाद संत पापा
ने देवदूत प्रार्थना का पाठ कर उपस्थित भक्त समुदाय को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। देवदूत
प्रार्थना समाप्त करने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपने संदेश में आगे कहा, अति
प्रिय भाइयो एवं बहनों , 25 मई को पलेरमो में फादर एवं शहीद डोन जुसेप्पे पुल्यीज़ी
को धन्य घोषित किया गया जो सन् 1993 ई. में माफ़िया द्वारा मारे गये थे। वे एक आदर्श
पुरोहित थे विशेष रुप से युवाओं के लिए कार्य करते थे। बच्चों को सुसमाचार की शिक्षा
देकर अपराधी वर्ग से बाहर लाने की कोशिश कर रहे थे यही वजह थी कि उन्हें शहीद होना पड़ा।
यथार्थ में शहीद डोन जुसेप्पे पुल्यीज़ी ने पुनर्जीवित ख्रीस्त के साथ विजय प्राप्त की।
मैं बहुत से पुरुष, महिला और बच्चों के दुखों पर चिंतन करता हूँ जो माफ़िया द्वारा शोषित
हैं, वेश्यावृति तथा कई सामाजिक दबाव के द्वारा दास की तरह काम करते हैं। उनकी दासता
के पीछे माफ़िया है। आइये, हम प्रार्थना करें कि ईश्वर इन लोगों का हृदय परिवर्तन कर
दे जिससे वे बुरे काम छोड़ दें। हम प्रार्थना करें कि माफिया के लोग ईश्वर की ओर
लौट आयें और उनकी प्रशंसा करें। हम डोन जुसेप्पे पुल्यीज़ी के महान साक्ष्य तथा उनके
उदाहरणों को संजोकर रखते हैं। इसके बाद संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों, परिवारों,
इटली, स्पेन, फाँस और अन्य देशों से आये सभी कलीसियाई दलों का अभिवादन किया। उन्होंने
कहा, "आध्यात्मिक सामीप्य के साथ मैं आपका अभिवादन करता हूँ, 50 वर्षों पूर्व स्थापित
संत पौल को समर्पित वक्ताओं और युवाओं के राष्ट्रीय संगठन के प्रति मेरी मंगल कामना है।"
"प्रिय मित्रो, संत फिलिप नेरी जिसका पर्व 26 मई को मनाया जाता है तथा हाल में
धन्य घोषित जुसेप्पे पुल्यीज़ी आप के प्रयास में सहायता करें। मैं सभी चीनी काथलिकों
के लिए मरिया की मध्यस्थता की याचना करता हूँ। मैं अपना स्नेह भाव उनकी ओर भी बढ़ाता
हूँ जो विश्राम दिवस को प्रोत्साहन देते हैं। बीमार जो मृत्यु शय्या पर पड़े हैं, साथ
ही इतालवी संगठनों एवं दलों को, उनकेसमर्पण के लिए धन्यवाद देता हूँ। अंत में संत
पापा ने सबके प्रति शुभ रविवार की कामना करते हुए भक्त समुदाय से विदा ली।