2013-05-15 11:48:45

संत पापा की धर्मशिक्षा, 15 मई, 2013


वाटिकन सिटी, 15 मई, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों तथा भक्तों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, विश्वास वर्ष के अवसर पर ‘विश्वास’ विषय पर बुधवारीय धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए हम ‘पवित्र आत्मा’ पर चिन्तन करना जारी रखें।
येसु पवित्र आत्मा को सत्य का आत्मा कहते हैं। आज के युग में हम न केवल यह विश्वास करते हैं कि सत्य बना रहता है पर सत्य की प्राप्ति शब्दधारी ईशपुत्र येसु में विश्वास करने से मिलता है।
पवित्र आत्मा हमें येसु के निकट लाता है और पूरी कलीसिया का मार्गदर्शन करता है ताकि कलीसिया पूर्ण सत्य को प्राप्त करे। पुनर्जीवित येसु द्वारा भेजे गये सहायक रूप में पवित्र आत्मा हमें येसु के दिव्य वचनों की याद दिलाता है और इसकी सत्यता की साक्षी देता है।
येसु मसीह के जीवनस्रोत रूप में यह हमें जागरुक करता है, हमारे विश्वास को दृढ़ करता ताकि हम ईशवचन पर आस्था रखें, इसके अर्थ को समझें और इसका उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर सकें।
आइये हम अपने आप से सवाल करें क्या मैं कुँवारी माता मरिया के समान पवित्र आत्मा के प्रति खुले रहें। हमारा विश्वास है कि पिता ईश्वर पुत्र येसु प्रभु और पवित्र आत्मा हमारे दिल में निवास करते हैं।
हम पवित्र आत्मा से प्रार्थना करें ताकि वे हमें सत्य के मार्ग में चलने में हमारी मदद करें और हम दैनिक प्रार्थनाओं, बाइबिल पढ़ने तथा संस्कारों को ग्रहण करते हुए प्रभु येसु के साथ अपनी मित्रता को सुदृढ़ कर सकें।
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इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, स्कॉटलैंड, डेनमार्क, कनाडा, वियेतनाम, ऑस्ट्रेलिया, चीन, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर पेन्तेकोस्त के दिन उतरनेवाले पवित्र आत्मा के वरदान तथा जीवित प्रभु के प्रेम और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।













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