2013-05-09 12:37:59

कलीसिया को चाहिये ‘प्रेरितिक साहस’


वाटिकन सिटी, वृहस्पतिवार, 9 मई, 2013 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने कहा. "अगर कलीसिया में ‘प्रेरितिक साहस’ नहीं हैं जिसने संत पौल को सुसमाचार प्रचार करने की ताकत दी तो कलीसिया ‘एक प्रगतिविहीन या उर्वरताहीन कलीसिया’ बन कर रह जायेगी।

संत पापा ने उक्त बात उस समय कही जब उन्होंने वाटिकन सिटी में अवस्थित प्रेरितिक प्रासाद के ‘दोमुस सान्ता मार्ता’ के प्रार्थनालय में अपने दैनिक यूखरिस्तीय बलिदान में वाटिकन प्रशासनिक न्यायाधिकरण, उच्च न्यायालय के अधिकारी एवं फर्नीचर तथा सजावट के लिये कार्य करनेवाले कर्मचारियों को प्रवचन दिये।

उन्होंने कहा, "कलीसिया जब अपना प्रेरितिक उत्साह खो देती है तब वह एक बन्द और नगण्य कलीसिया बन जाती है जहाँ काम चलता रहता है पर बिना फल के। ऐसा इसलिये क्योंकि कलीसिया को पड़ोसियों के पास जाने का साहस नहीं है जहाँ लोग और कमजोर विचारवाले दुनियादारी अन्य देवताओं और कई चीज़ों के शिकार हैं।"

संत पापा ने कहा कि पौल प्रेरितिक साहस और सुसमाचार प्रचार के आदर्श थे। उन्होंने ग्रीक दर्शनशास्रियों के साथ वार्ता को उत्सुकता दिखायी थी।

संत पौल ने अथेनियनों से यह नहीं कहा, "यह सत्य का इनसाइक्लोपीडिया है, इसका अध्ययन करो और सत्य को जानो। सत्य ‘इनसाइक्लोपीडिया’ या विश्व कोश के अन्दर नहीं है।"

पोप ने कहा, "सत्य तो एक मिलन है सबसे बड़ी और महान सच्चाई येसु मसीह के साथ। कोई सत्यधारी नहीं है हम सत्य को ग्रहण करते हैं जब सत्य से हमारी मुलाक़ात होती है।"

"एक ख्रीस्तीय जो सुसमाचार का प्रचार करना चाहता है उसे चाहिये वह प्रत्येक व्यक्ति को महत्व दे।"

उन्होंने कहा, "ऐसे ख्रीस्तीय जो सेतु नहीं बनना चाहते पर दीवार खड़ा करते हैं उन्होंने न तो अपने विश्वास को नहीं समझा है न ही येसु मसीह को।"

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "हमें येसु मसीह का प्रचार इस तरह से करना चाहिये ताकि यह स्वीकार्य हो, ग्राह्य हो और कभी अस्वीकार न किया जाये। संत पौल को मालूम था कि सुसमाचार का बीज बोना कठिन है, सब कुछ उस पर निर्भर नहीं करता है इसलिये उन्होंने उस पवित्र आत्मा की सहायता से सबकुछ किया जो येसु के सुसमाचार प्रचार के लिये ज़रूरी थी।"








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