2013-04-30 11:44:00

वाटिकन सिटीः "पापों पर लज्जित होना एक सदगुण", सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, 30 अप्रैल सन् 2013 (सेदोक): विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस का कहना है कि अपने पापों पर लज्जित होना एक सदगुण है।
वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में सोमवार को ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि अपने "पापों पर लज्जित होना मनुष्य के लिये स्वाभाविक ही नहीं अपितु एक ऐसा सदगुण है जो हमें ईश्वर की दया और क्षमा के पात्र बनने हेतु तैयार करता है।"
सन्त पापा ने कहा कि पापस्वीकार करना अथवा पुनर्मिलन संस्कार ग्रहण करना कपड़े धोने जैसा कदापि नहीं है जहाँ पाप स्वतः ही धुल जायें।
सन्त योहन के पहले पत्र से लिये गये वाक्य कि "ईश्वर प्रकाश हैं तथा उनमें कोई अन्धकार नहीं" की व्याख्या करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि हम सबमें कहीं न कहीं अन्धकार है तथापि इसका यह अर्थ नहीं कि हम अन्धकार में चलते रहें।
उन्होंने कहा, "अन्धकार में चलने का अर्थ है कि हम अपने आप से कुछ अधिक ही सन्तुष्ट हैं तथा विश्वास करते हैं कि हमें मुक्ति की आवश्यकता नहीं।" सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार का भाव ही अन्धेरा है जिसे पापस्वीकार अथवा पुनर्मिलन संस्कार से दूर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यदि हम कहते हैं कि हममें कोई पाप नहीं तो हम भ्रम में पड़े हैं तथा सत्य से दूर हैं। सन्त पापा ने कहा कि अपने पापों का एहसास पाना, उनपर पछताना तथा क्षमा की याचना करना ही प्रभु की शरण जाना है जो विश्वसनीय एवं न्यायी हैं तथा हमें क्षमा करने को तत्पर हैं।








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