वाटिकन सिटी, 24 अप्रैल, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत
पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों
तीर्थयात्रियों तथा भक्तों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, विश्वास वर्ष में हम आज ‘विश्वास’
विषय पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखें। आज हम ख्रीस्तीय विश्वास की घोषणा के ‘येसु के
द्वितीय आगमन’ पर चिन्तन करें। काथलिक विश्वास की घोषणा में कहा गया है ‘येसु महिमा के
साथ फिर आयेंगे और जीवितों और मृतकों का न्याय करेंगे’। मानव इतिहास का आरंभ उस समय
हुआ जब ईश्वर ने अपने प्रतिरूप नर और नारी की सृष्टि की और इसका अंत तब होगा जब मसीह
अंतिम में आयेंगे और महाविचार करेंगे। येसु के दृष्टांत हमें इस बात को समझने में मदद
देते हैं और आज के युग में ईश्वर और पड़ोसियों के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी को स्पष्ट
करते हैं। बुद्धिमान और मूर्ख कुँवारियों के दृष्टांत में में हम इस बात की याद दिलाता
है कि येसु के आगमन के लिये हमें तैयार रहने की ज़रूरत है। क्षमताओं के दृष्टांत इस बात
पर बल देता है कि हमारा दायित्व है कि हम ईश्वरीय वरदानों के उपयोग बुद्धिमत्ता से करें
और कई गुणा फल लायें। मैं यहाँ उपस्थित युवाओं से अपील करता हूँ कि वे ईश्वरप्रदत्त
गुणों के प्रति उदार बनें और दूसरों का कल्याण करें। और महाविचार का दृष्टांत में हमें
इस बात की याद दिलाता है कि दूसरों और ज़रूरतमंदों के के प्रति हमारे प्रेम के आधार
परर हमारा अंतिम विचार होगा। इन दृष्टांतों के द्वारा येसु चाहते हैं कि हम ईश्वर
के प्रति भय पर पूर्ण विश्वास के साथ उनका इन्तज़ार करें और उनकी उपस्थित का उत्साहपूर्वक
साक्ष्य दें। आप प्रार्थना और उदारतापूर्ण कार्यों के प्रति वफ़ादार रहें ताकि जब प्रभु
आयें तो हमें अच्छा और वफ़ादार सेवकों समान पायें।
इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने वियेतनाम के होकीमिन्ह
सिटी के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जाँ बप्तिस्ते फाम मिन्ह मान और वियेतनामी तीर्थयात्री
दल, मारिस्ट ब्रदर्स और इंगलैंड के कैम्ब्रिज मुस्लिम कॉलेज के विद्यार्थियों का अभिवादन
किया।
उसके बाद उन्होंने इसके बाद उन्होंने, इंगलैंड, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडेन,
डेनमार्क, दक्षिण कोरिया अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा
उनके परिवार के सदस्यों पर जीवित प्रभु के प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।