न्यूयॉर्क, वृहस्पतिवार, 25 अप्रैल, 2013 (सेदोक वीआर) संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन
के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष फ्राँसिस चुल्लीकट ने कहा कि समस्याओं के निवारण
और समाधान के लिये निर्णय लेते समय महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की सख़्त ज़रूरत है।
वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत ने उक्त बात उस समय कही जब उन्होंने 17 अप्रैल को
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में ‘नारी, शांति और सुरक्षा’ विषय पर चल रही बहस
में अपने विचार व्यक्त किये।
महाधर्माध्यक्ष चुल्लीकट ने कहा कि युद्धों को रोकने,
समस्याओं का समाधान के लिये हथियार उठाने, मेल-मिलाप कराने, पुनर्निवास और पुनर्निर्माण
के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं के योगदान की प्रबल संभावनायें हैं।
उन्होंने
कहा कि महिलायें को चाहिये कि वे शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें। उन्होंने
कहा कि युद्ध रोकने के लिये ज़रूरी है समय पर शांति प्रक्रिया आरंभ करना और शांतिपूर्ण
साधनों का उपयोग करना जैसे मध्यस्थता और अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करना तथा समस्याओं
के आर्थिक और सामाजिक पक्षों को समझते हुए समाधान के लिये पूर्ण समर्पण दिखाना।
महाधर्माध्यक्ष
चुल्लीकल ने अपराधों की ज़िम्मेदारी के बारे में बोलते हुए कहा कि निगरानी और न्यायिक
प्रक्रिया, न्याय और समानता पर आधारित हो न कि राजनीतिक मंशा से प्रेरित।
पीड़ितों
की सहायता के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक पीड़ित को उचित सहायता दी
जानी चाहिये विशेष कर बलात्कार के मामले में। सुरक्षित गर्भपात के बदले में पीड़िता को
सहायता मिले, शिक्षा और सलाह मिले ताकि वह दैनिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक जरूरतों को
पूरी कर सके।
वाटिकन प्रेरितिक राजदूत ने कहा कि शांति सबसे पहले ह्रदय में
जन्म ले ताकि इससे कई अन्य शांति के कदम उठाये जा सकेंगे और लोगों को जीवन का अधिकार
और सुरक्षा प्राप्त होगी, विशेष करके महिलाओं और बच्चों को।