प्रेरक मोतीः सिगमारिंगन के सन्त फिदेलिस (1577-1622)
वाटिकन सिटी, 24 अप्रैल सन् 2013
सिगमारिंगन के सन्त फिदेलिस कैपुचिन धर्मसमाजी
शहीद हैं। जर्मनी के सिगमारिंगन शहर में सन् 1577 ई. में फिदेलीस का जन्म हुआ था। जन्म
के समय उनका नाम मार्क रे था। मार्क रे एक दक्ष और योग्य वकील थे जिन्होंने यूरोप की
कई यात्राएँ की थीं। वे सामन्तों के प्रकरणों पर काम किया करते थे तथा एक प्रवीण एवं
सफल वकील रूप में प्रतिष्ठापित हो चुके थे। जब उन्होंने महसूस किया कि धनी लोग धन के
बल पर अपने आप का बचाव कर लेते थे जबकि निर्धनों के पक्ष में कोई बोलनेवाला नहीं था तब
उन्होंने निर्धनों के बचाव का बीड़ा उठाया तथा मुफ्त में अपनी सेवाएँ अर्पित की। इस पेशे
में ऐसे कई मौके आये जब उन्होंने अपने साथी वकीलों को केवल प्रकरण जीतने के लिये झूठ
बोलते देखा। झूठ एवं छल कपट के इस जीवन के साथ वे समझौता नहीं कर सके इसलिये सन् 1612
ई. में उन्होंने फ्राँसिसकन कैपुचिन धर्मसमाज में प्रवेश कर लिया था। यहीं से उनका नाम
मार्क रे से फिदेलिस हो गया।
कलीसिया के मिशन कार्यों के लिये उन्हें जर्मनी
से स्विटज़रलैण्ड प्रेषित किया गया जहाँ वे बहुत सफल हुए तथा सैकड़ों ने काथलिक धर्म
का आलिंगन किया। बताया जाता है कि प्रवचन करने से पूर्व वे कई रातें पवित्र यूखारिस्त
एवं येसु के पवित्र क्रूस के सामने प्रार्थना में व्यतीत किया करते थे। शालीनता, शुद्धता,
और विनम्रता के लिए फिदेलिस जाने जाते थे।
उनकी अपार सफलता कैलवनिस्ट प्रॉटेस्टेण्ट
सम्प्रदाय की ईर्ष्या का कारण बन गई जिन्होंने झूठे आरोप लगाकर फिदेलिस को बदनाम करना
शुरु कर दिया। उन्होंने उनपर देशद्रोह का झूठा आरोप लगाया तथा ऑस्ट्रिया के सम्राट से
उनकी शिकायत की। 24 अप्रैल सन् 1622 ई. फिदेलिस ने ग्रूश नगर में प्रवचन किया और उसके
बाद वे सेविज़ के लिये चल पड़े। यहाँ "एक प्रभु, एक विश्वास और एक बपतिस्मा" विषय पर
जब वे प्रवचन कर रहे थे तब उनपर गोली चलाई गई किन्तु गोली उन्हें लगी नहीं। इसके बाद
उन्हें परामर्श दिया गया कि अपने प्राण रक्षा के लिये, वे, कुछ समय के लिये, मिशनरी कार्यों
का परित्याग कर दें किन्तु फिदेलिस पीछे नहीं हटे।
प्रभु ईश्वर के प्रति पूर्ण
समर्पण की अभिव्यक्ति कर वे पुनः ग्रूश नगर लौटे किन्तु रास्ते में ही हथियारों से लैस
कुछ व्यक्तियों ने उनपर हमला कर दिया। उन्होंने उनसे काथलिक धर्म के परित्याग की मांग
की। फिदेलिस के इनकार के बाद उन्हें छुरा भोंककर मार डाला गया। वे 45 वर्ष के थे। सन्त
पापा बेनेडिक्ट 14 वें द्वारा सिगमारिंगन के फिदेलिस को सन्त घोषित किया गया था। सिगमारिंगन
के सन्त फिदेलिस सुसमाचार प्रचार परिषद के प्रथम अध्यक्ष थे। उनका पर्व 24 अप्रैल को
मनाया जाता है।
चिन्तनः सतत् प्रार्थना तथा यूखारिस्त की भक्ति हमें विश्वास
में सुदृढ़ बने रहने का सम्बल प्रदान करती है।