‘कलीसिया की बुराई है - बन्द कमरे में अपने को देखना’
वाटिकन सिटी, वृह्स्पतिवार, 18 अप्रैल, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने अर्जेन्टीना
की 105वें धर्माध्यक्षीय पूर्ण अधिवेशन के लिये अपनी शुभकामानयें भेजीं हैं तथा प्रार्थनाओं
का आश्वासन दिया है। संत पापा ने अर्जेन्टीना के धर्माध्यक्षों को प्रेषित अपने
पत्र में कहा, "जो कलीसिया अपने आप से बाहर नहीं आती वह उमसभरे वातावरण का शिकार हो जाती
है। कलीसिया की बीमारी है बन्द कमरे में अपने आपको देखना, अपने आप पर झुके रहना।"उन्होंने
कहा, "यह एक ऐसा अहंकार है जो ‘आध्यात्मिक दुनियादारी’ और ‘परिष्कृत याजकीयवाद’ की ओर
झुक जाता है और लोगों को सुसमाचार प्रचार करने की खुशी और सांत्वना से वंचित कर देता
है।" संत पापा ने कहा, "मैं इस बात से अवगत हूँ कलीसिया बाहर निकलती है तो दुर्घटनायें
हो सकती हैं पर कलीसिया के बीमार होने से अच्छा है वह कुछ दुर्घटनाओं की जोखिम उठाये।"
उन्होंने कहा, "मैं आपलोगों को उस आनन्द के अनुभव की शुभकामनायें देता हूँ जो क्रूस
से प्राप्त होती है, जो पीड़ापूर्ण है, पर यही हमें घृणा, उदासी और ‘याजकीयवादी एकान्तता’
से बचाता है।
यह एक ऐसा आनन्द है जो हमें फलदायी बनाता है और हमें प्रेरित
करता है कि हमें ईश्वरीय प्रजा की सेवा करने की प्रेरणा देता है और जब हम उनकी देखभाल
के मिशन को गंभीरतापूर्वक लेते हैं तो यह आनन्द बढ़ता ही चला जाता है।" उन्होंने
धर्माध्यक्षीय अधिवेशन में भाग लेने वाले धर्माध्यक्षों के लिये प्रार्थना करते हुए कहा
कि ईश्वर आप सबों को दुनियादारी, रुपये-पैसे और याजकवाद के बाज़ार से मुक्त करे। उन्होंने
कहा कि उनका विश्वास है कि कुँवारी माता मरियम हमें नम्रता का रास्ता दिखलायेगी और साहस
प्रदान करेगी ताकि हम पूरे प्रेरितिक उत्साह से अपने मिशन को पूरा कर सकें।