2013-04-16 12:37:04

प्रेरक मोतीः सन्त मारी बेरनाडेट सोबीरुस (1844-1879)


वाटिकन सिटी 16 अप्रैल सन् 2013
फ्राँस के लूर्द नगर के एक साधारण परिवार में मेरी बेरनाडेट सोबीरुस का जन्म, 07 जनवरी सन् 1844 ई. को हुआ था।

मेरी बेरनाडेट सोबीरुस अपने मरियम दर्शनों के कारण विश्व विख्यात हैं। लूर्द की गुफा में एक "युवी स्त्री" ने उन्हें दर्शन देकर मासाबिल्ले में एक मरियम को समर्पित गुफा के निर्माण का आदेश दिया था। सन् 1858 ई. में 11 फरवरी से लेकर 16 जुलाई तक मरियम ने कई बार बेरनाडेट को दर्शन दिये थे।

प्रारम्भिक संदेहों के बावजूद एक कलीसियाई जाँच के बाद बेरनाडेट के दावों को विश्वास योग्य ठहराया गया तथा मरियम दर्शनों को लूर्द की रानी माँ मरियम रूप में प्रतिष्ठापित किया गया।

बेरनाडेट की मृत्यु के बाद से उनका पार्थिव शव प्रतीयमान रूप से भ्रष्ट नहीं हुआ किन्तु सन् 1925 ई. में किये गये तीसरे उत्खनन के समय कुछ दाग पाये गये जिसके बाद पार्थिव शवों की मरहम करनेवाली ईमान पियेर कम्पनी ने उनके मुख एवं हाथ को हल्के मोम से ढक दिया।

फ्राँस के नेवेर्स स्थित मरियम गुफा काथलिकों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है जहाँ, सम्पूर्ण विश्व से, केवल ख्रीस्तीय ही नहीं अपितु विभिन्न धर्मों और जातियों के लगभग पचास लाख तीर्थयात्री प्रतिवर्ष श्रद्धा अर्पित करने पहुँचते हैं।

सन्त पापा पियुस 11 वें ने 08 दिसम्बर सन् 1933 ई. मेरी बेरनाडेट सोबीरुस को सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था। 16 अप्रैल को सन्त मेरी बेरनाडेट सोबीरुस का पर्व मनाया जाता है।


चिन्तनः प्रभु ईश्वर की दृष्टि में महान होने के लिये सांसारिक धन दौलत की नहीं अपितु आध्यात्मिक तौर पर धनी होने की आवश्यकता है।








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