वाटिकन सिटी 15 अप्रैल सन् 2013 सन्त पातेरनुस का जन्म पोईटियर्स में लगभग सन् 482
ई. में हुआ था। पत्नी की सहमति से, पातेरनुस के पिता आयरलैण्ड चले गये थे जहाँ उन्होंने
अपने जीवन का अन्तिम काल एकान्तवास में व्यतीत किया। पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए
पातेरनुस ने भी साधु जीवन यापन का प्रण किया तथा मार्न्स के मठ में भर्ती हो गये। बाईबिल
पाठों पर गहन मनन’चिन्तन एवं सतत् प्रार्थना द्वारा, कुछ समय बाद, पातेरनुस को ख्रीस्तीय
धर्म के आदेशों को अपनी जीवन शैली में आत्मसात कर पूर्णता प्राप्ति की प्रेरणा मिली।
वे वेल्स गये तथा कार्डिगनशायर में उन्होंने एक मठ की स्थापना कर दी जो बाद में जाकर
"लियान पातेरनाऊर" अथवा महान पातेरनुस के गिरजाघर नाम से विख्यात हो गया। मठवासी
रहते ही वे अपने पिता से मिलने आयरलैण्ड गये किन्तु बीच में ही उन्हें मार्न्स के मठ
से बुलावा आया जिसके कारण आधी यात्रा के बीच से ही वे सन्त स्कूबीलियोन के साथ लौट आये।
काईतान्सेस धर्मप्रान्त के एक समुद्री तट के निकटवर्ती शिसी के जंगलों में उन्होंने त्याग-तपस्या
से परिपूर्ण एकान्सवास शुरु कर दिया। इन जंगलों में बुत परस्ति, जादू टोना, अंधविश्वास
एवं मूर्तिपूजकों का बोलबाला था। पातेरनुस ने ग़ैरविश्वासियों में सुसमाचार का प्रचार
किया तथा प्रभु येसु के प्रेम सन्देश से उन्हें आलोकित किया। साधु पातेरनुस के प्रेरितिक
कार्यों से प्रभावित हो रोएन के धर्माध्यक्ष जेरमानुस ने उन्हें अवरान्खेस का धर्माध्यक्ष
नियुक्त कर दिया था। 13 वर्षों तक अपने धर्मप्रान्त की सेवा के उपरान्त धर्माध्यक्ष पातेरनुस
एकान्तवास के लिये फ्राँस चले गये थे जहाँ लगभग सन् 565 ई. में उनका निधन हो गया था।
सन्त पातेरनुस का पर्व 15 अप्रैल को मनाया जाता है। चिन्तनः सतत् प्रार्थना तथा
ईशवचन के पाठ से प्रभु ईश्वर में हम अपने विश्वास को सुदृढ़ करें तथा लोगों के बीच शांति
निर्माता बनें।