2013-04-13 14:36:19

पाँच नव अभिषिक्त पुरोहित कन्धमाल के लिए विशेष वरदान


रायकिया ओडिशा, शनिवार 13 अप्रैल 2013 (एशिया न्यूज़): "विश्वास वर्ष में पाँच नव अभिषिक्त पुरोहित धर्मप्रांत के विशेषकरके कन्धमाल के लिए ईश्वर के वरदान हैं। सन् 2007 -2008 की ईसाई विरोधी हिंसा के बावजूद ईश्वर ने उन्हें अकेला नहीं छोड़ दिया, पर हमारे साथ हैं और पाँच नये पुरोहितों को दिया जो कलीसिया के विश्वास को मजबूत करेंगे।"

उन्होंने कहा, "पाँच नवाभिषिक्त पुरोहित इस बात के साक्षी है कि कन्धमाल में विश्वास का चमकना जारी है।"

उक्त बात पुरोहिताभिषेक की धर्मविधि के दौरान कटक-भुवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष जॉन बरवा ने अपने उपदेश में कहा।

मालूम हो कि कन्धमाल जिले के "आवर लेडी ऑफ चारिटी गिरजाघर" में 12 अप्रैल शुक्रवार को महाधर्माध्यक्ष श्रद्धेय जॉन बारवा के कर कमलों पाँच पुरोहितों का पावन अभिषेक सम्पन्न हुआ।

ख्रीस्तयाग के दौरान नये पुरोहितों को संबोधित कर उन्होंने कहा "पुरोहिताई ख्रीस्त पर केंद्रित है जो सेवा कराने नहीं सेवा करने आये थे। ख्रीस्त का अनुकरण करने और उसके समान जीने के द्वारा ही एक पुरोहित न केवल ख्रीस्तीय पर हर मज़हब के व्यक्तियों की सेवा कर सकता है।

उन्होंने कहा, "येसु मुक्ति, शांति, आनन्द और खुशी देने के लिए आये। ख्रीस्त के वचन "मैं प्यासा हूँ" पुनः हमारे मन और दिल में सुनाई दे। कन्धमाल के पुरोहित होने के नाते हमें पूरे ओडिशा में शांति, आनन्द और मिलाप के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।"
महाधर्माध्यक्ष ने संत पापा द्वारा रोम के कसल देल मार्मो में कैदियों के पैर धोये जाने का उदाहरण देते हुए उपस्थित से कहा कि संत पापा ने इस उदाहरण द्वारा हमें याद दिलाया है कि किसी की जाति, धर्म और विश्वास का भेदभाव किये बिना सबों की सेवा की जानी चाहिए।
महाधर्माध्यक्ष ने इस बात पर भी बल दिया कि युवक युवातियों को पुरोहिताई एवं धर्मसमाजी जीवन अपनाने के लिये आगे आयें।

विदित हो, कटक-भुनेश्वर महाधर्मप्रांत में नव अभिषिक्त पुरोहितों के साथ 91 धर्मप्रांतीय एवं 54 धर्मसमाजी पुरोहित कार्यरत हैं।

ज्ञात हो कि विगत अगस्त 2008 ईस्वी में उड़ीसा में हिन्दू अतिवादियों के ख्रीस्तीय विरोधी हमलों करीब 100 ख्रीस्तीय मार डाले गये थे, 54,000 से अधिक ख्रीस्तीय बेघर हो गये थे, 300 गिरजाघर सहित कई मठों, स्कूलों, छात्रावासों एवं स्वास्थ्य केन्द्रों को नष्ट कर दिया गया था।

यद्यपि क्षेत्रीय कलीसिया की मदद से कुछ घरों और गाँवों का पुनर्निर्माण कर दिया गया है, तथापि लोगों का जीवन पूर्णतया सामान्य सामान्य नहीं हो पाया है.








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