2013-04-08 12:49:27

वाटिकन सिटीः स्वर्ग की रानी प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा का सन्देश


वाटिकन सिटी, 08 अगस्त सन् 2012 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 07 अप्रैल को, मध्यान्ह स्वर्ग की रानी प्रार्थना से पूर्व, तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों के समुदाय को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

शुभ प्रभात, पास्का का अठवारा समाप्त करनेवाले इस रविवार के दिन, आप सबके प्रति एक बार फिर मैं स्वयं पुनर्जीवित प्रभु येसु के शब्दों से पास्का की हार्दिक शुभकामनाएँ नवीकृत करता हूँ: "'तुम्हें शांति मिले!" (योहन 20:19 एवं 21:26)। यह न तो प्रणाम है और न ही कोई साधारण मंगलकामना: यह एक वरदान है, बल्कि यह वह अनमोल वरदान है जिसे प्रभु येसु ख्रीस्त ने मृत्यु एवं पाताल को पार करने के बाद अपने शिष्यों को अर्पित किया। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार उन्होंने उन्हें शांति का वरदान दियाः "मैं तुम्हारे लिये शांति छोड जाता हूँ। अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। वह संसार की शांति-जैसी नहीं है" (योहन 14:27)।

सन्त पापा ने कहा, "यह शांति बुराई पर ईश्वर के प्रेम की विजय का फल है, यह क्षमा का फल है। जीँ हाँ, ऐसा ही है: यथार्थ शांति, गहन शांति, ईश्वर की करूणा का अनुभव प्राप्त कर लेने पर ही आती है। धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की इच्छानुसार, आज ईश्वरीय करूणा को समर्पित रविवार है, जिन्होंने इस पर्व की पूर्व सन्ध्या ही संसार से आँखें मूँद ली थीं।"

सन्त पापा ने कहा, "सन्त योहन रचित सुसमाचार हमें बताते हैं कि अन्तिम भोजन कक्ष में एकत्र प्रेरितों को येसु ने दो बार दर्शन दिये: प्रथम बार, पुनरुत्थान की सन्ध्या ही, जब थॉमस उपस्थित नहीं थे, तथा जिन्होंने कहा था: जब तक मैं न देख लूँ, जब तक स्पर्श नहीं कर लूँ, मैं विश्वास नहीं करूँगा।" दूसरी बार, आठ दिन बाद जब थॉमस भी प्रेरितों के साथ उपस्थित थे, तब येसु ने थोमस से कहा कि वे उनके घावों को देखें और उनका स्पर्श; तब थॉमस बोल उठे: "मेरे प्रभु! मेरे ईश्वर!" येसु ने उनसे से कहा, "क्या तुम इसलिये विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं।"

सन्त पापा ने प्रश्न किया, "कौन थे वे जिन्होंने बिना देखे ही विश्वास कर लिया था? अन्य शिष्य, जैरूसालेम के अन्य पुरुष एवं अन्य स्त्रियाँ जिन्होंने पुनर्जीवित येसु का साक्षात्कार किये बिना ही प्रेरितों एवं महिलाओं के साक्ष्य पर विश्वास किया। यह विश्वास का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण शब्द है, हम इसे विश्वास सम्बन्धी आशीर्वचन कह सकते हैं। "धन्य हैं वे जिन्होंने देखा नहीं और विश्वास किया" यही विश्वास का आशीर्वचन है। हर युग में तथा हर जगह वे लोग धन्य हैं जो, कलीसिया में उदघोषित ईश वचन एवं ख्रीस्तीयों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर विश्वास करते हैं कि देहधारी येसु ख्रीस्त ईश्वर के प्रेम है, वे ही दया के मूर्त रूप हैं। यह हम सब के लिये युक्तियुक्त है।

आगे सन्त पापा ने कहाः "प्रेरितों को येसु ने अपनी शांति का वर देने के साथ साथ पवित्रआत्मा का भी वरदान दिया ताकि वे समस्त विश्व में पापों की क्षमा का प्रसार कर सकें, वह क्षमा जो केवल ईश्वर प्रदान कर सकते हैं, तथा जिसके लिये ईश पुत्र को अपने रक्त से क़ीमत चुकानी पड़ी (दे. योहन 20: 21-23)।"

सन्त पापा ने कहा, "कलीसिया मनुष्यों के बीच पापों की क्षमा के प्रसार हेतु पुनर्जीवित ख्रीस्त द्वारा प्रेषित की गई है ताकि इस प्रकार वह प्रेम के राज्य का विस्तार करे, हृदयों में शांति के बीज बोए तथा इसलिये भी कि वह समाजों एवं संस्थाओं में अपने सम्बन्धों को पुष्ट करे। पुनर्जीवित प्रभु ख्रीस्त का आत्मा प्रेरितों के हृदयों से भय को दूर भगाता तथा उन्हें अन्तिम भोजन कक्ष से बाहर निकलकर सुसमाचार के प्रचार हेतु प्रेरित करता है।

सन्त पापा ने कहा, "हम भी पुनर्जीवित ख्रीस्त में अपने विश्वास का साक्ष्य देने हेतु और अधिक साहस जुटायें। ख्रीस्तीय धर्मानुयायी होने से तथा ख्रीस्तीय मूल्यों के अनुकूल जीवन यापन करने से हम न डरें। हममें यह साहस होना चाहिये कि हम पुनर्जीवित ख्रीस्त की उदघोषणा कर पायें क्योंकि प्रभु ही हमारी शांति हैं, उन्होंने अपने प्रेम एवं अपनी क्षमा द्वारा शांति को हासिल किया, उनके रक्त एवं उनकी करूणा द्वारा।"

अन्त में सन्त पापा ने कहा, "प्रिय मित्रो, आज दोपहर मैं सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करूँगा, जो रोम के धर्माध्यक्ष की पीठ है। हम सब मिलकर कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें ताकि वे धर्माध्यक्ष की एवं लोगों की, विश्वास एवं उदारता सम्बन्धी तीर्थयात्रा में आगे बढ़ते रहने में हमारी मदद करें। प्रभु की करूणा पर भरोसा रखते हुए हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़े कि प्रभु सदैव हमारी प्रतीक्षा करते, हमसे प्रेम करते, उन्होंने अपने रक्त द्वारा हमें क्षमा प्रदान की तथा जब जब हम उनके पास क्षमा याचना करते हैं वे हमें क्षमा कर देते हैं। उन्हीं की करूणा पर हम विश्वास करें।"

इतना कहकर सन्त पापा फ्राँसिस ने उपस्थित भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया तथा सबपर प्रभु ईश्वर की शांति का आह्वान कर सबको अपनी प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदोपरान्त सन्त पापा ने, ईश्वरीय करूणा को समर्पित रोम स्थित सान्तो स्पीरीतो इन सास्सिया नामक गिरजाघर में रोम के प्रतिधर्माध्यक्ष कार्डिनल वाल्लीनी द्वारा अर्पित ख्रीस्तयाग में शामिल होनेवाले समस्त तीर्थयात्रियों के प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अरपित कीं तथा ईश्वरीय करूणा एवं दया के साक्षी बनने का उनसे आग्रह किया। अन्त में, "ईश्वर आप सबको आशीष दें", इन शब्दों से सन्त पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय से विदा ली।








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