प्रेरक मोतीः ग्रेनोबेल के सन्त हूय (1053 ई.- 1132 ई.)
वाटिकन सिटी 01 अप्रैल सन् 2013 सन्त हूय फ्राँस स्थित ग्रेनोबेल के धर्माध्यक्ष एवं
बेनेडिक्टीन धर्मसमाज के मठवासी थे। फ्राँस के डॉफीन प्रान्त में हूय का जन्म हुआ था।
बाल्यकाल से ही हूय में धर्म और आस्था के प्रति आकर्षण रहा था जिसे उन्होंने धर्मशास्त्रों
के अध्ययन से परिष्कृत किया। लोकधर्मी विश्वासी होते हुए भी उन्होंने ईशशास्त्र एवं धर्मतत्वज्ञान
का अध्ययन किया। यद्यपि उनका पुरोहिताभिषेक नहीं हुआ था उन्हें वालेन्स का आध्यात्मिक
मार्गदर्शक तथा सन् 1080 में आविन्योन में सम्पन्न धर्मसभा में ग्रेनोबेल का धर्माध्यक्ष
नियुक्त कर दिया गया था। हूय ग्रेगोरियन सुधारों के समर्थक थे तथा वियेने के महाधर्माध्यक्ष
के विरोधी जो बाद में सन्त पापा कलिस्तुस द्वितीय हुए।
ग्रेनोबेल धर्मप्रान्त
में ग्रेगोरियन सुधारों को लागू करने का काम उन्हें स्वयं सन्त पापा ग्रेगोरी सप्तम द्वारा
सौंपा गया था। सन्त पापा ग्रेगोरी सप्तम द्वारा ही धर्मशास्त्री हूय पुरोहित अभिषिक्त
किये गये थे। दो वर्षों के अथक परिश्रम के बाद ग्रेनोबेल में उन्होंने सुधारों को लागू
किया तथा धर्मप्रान्त को अपकीर्ति से बचाया। अपना कार्य पूर्ण होता देख धर्माध्यक्ष हूय
धर्मप्रान्त का परित्याग कर शेष जीवन बेनेडिक्टीन मठ में एकान्त में जीना चाहते थे किन्तु
सन्त पापा ग्रेगोरी ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। सन्त पापा की इच्छा का पालन करते
हुए धर्माध्यक्ष हूय अन्त तक ग्रेनोबेल के धर्माध्यक्ष रहे। इस बीच, ग्रेनोबेल धर्मप्रान्त
की विशाल भूमि को हड़पने के प्रयास जारी थे जिसपर धर्माध्यक्ष हूय ने अपने दस्तावेज़ों
से, मालिकाना हक प्रमाणित किया तथा ग्रेनोबेल की भूमि को सुरक्षित रखा। धर्माध्यक्ष हूय
के इन्हीं दस्तावेज़ों को "सन्त हूय के कारतूलेरिस" यानि सन्त हूय के अभिलेख कहा जाता
है। कारथूसियन धर्मसंघ की स्थापना भी धर्माध्यक्ष हूय की सहायता से ही सम्भव हुई। सन्
1084 ई. में हूय ने कोलोन के सन्त ब्रूनो तथा उनके साथियों को आतिथेय प्रदान किया था।
चारत्रूस नामक स्थल पर उन्होंने इन अतिथियों के लिये एक मठ की स्थापना भी की थी। बाद
में यह मठ प्रार्थना, मनन चिन्तन, बाईबिल अध्ययन एवं एकान्तवास के लिये विख्यात हो गया।
01 अप्रैल, सन् 1132 ई., को धर्माध्यक्ष हूय का निधन हो गया था। इसके दो वर्ष
बाद ही, 22 अप्रैल, सन् 1134 ई. को, सन्त पापा इनोसेन्ट द्वितीय ने उन्हें सन्त घोषित
कर कलीसिया में वेदी का सम्मान प्रदान किया था। ग्रेनोबेल के धर्माध्यक्ष, सन्त हूय का
पर्व 01 अप्रैल को मनाया जाता है।
चिन्तनः "बुद्धिमान् की शिक्षा जीवन का स्रोत
है और मनुष्य को मृत्यु के जाल से छुड़ाती है। सद्बुद्धि मनुष्य को लोगों का कृपापात्र
बनाती है, किन्तु बेईमान का आचरण उसके पतन का कारण बनता है। बुद्धिमान् सोच-समझकर कार्य
प्रारम्भ करता है, किन्तु नासमझ अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है। दुष्ट सन्देशवाहक
दूसरों को संकट में डालता, किन्तु विश्वासी राजदूत से सान्त्वना मिलती है" (सूक्ति ग्रन्थ
14-17)।