2013-03-30 09:47:18

रोमः कोलोस्सेयुम में क्रूस मार्ग की विनती कर सन्त पापा ने मध्य पूर्व में शांति का किया आह्वान


रोम, 30 मार्च सन् 2013 (सेदोक): रोम के ऐतिहासिक स्मारक कोलोस्सेयुम में शुक्रवार को, गुड फ्रायडे के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस ने क्रूस मार्ग की विनती का नेतृत्व किया तथा इस अवसर पर मध्यपूर्व में शांति का आह्वान किया।
आरम्भिक ख्रीस्तीयों की शहादत के स्मारक, रोम के कोलोस्सेऊम में, 17 वीं शताब्दी से काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष, गुड फ्रायडे के दिन, पवित्र क्रूस मार्ग की विनती का नेतृत्व करते रहे थे। बाद में, कुछ समय के लिये, यह परम्परा स्थगित कर दी गई थी किन्तु सन् 1964 में, सन्त पापा पौल षष्टम ने इसे पुनः आरम्भ कर दिया था।
शुक्रवार, 29 मार्च को गुड फ्रायडे के अवसर पर हज़ारों तीर्थयात्रियों ने, मोमबत्तियाँ लिये, कोलोस्सेऊम पर आयोजित पवित्र क्रूस मार्ग की विनती में भाग लिया। क्रूस मार्ग के 14 मुकामों पर चिन्तन इस वर्ष लेबनान के युवाओं द्वारा लिखा गया था।
क्रूस मार्ग की विनती के उपरान्त भक्तसमुदाय को सम्बोधित कर सन्त पापा प्राँसिस ने क्रूस का मर्म समझाया। उन्होंने कहा, "कभी कभी ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभु ईश्वर बुराई पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दर्शाते, मानो वे चुपचाप हों। तथापि, ईश्वर बोले हैं, उन्होंने उत्तर दिया है, और उनका उत्तर है ख्रीस्त का क्रूस, वह शब्द जिसमें प्रेम, दया और क्षमा समाहित है।"
सन्त पापा ने कहा, "ईश्वर का न्याय हमारे प्रति प्रकट उनका प्रेम है इसलिये यदि हम उनके प्रेम का आलिंगन करते हैं तो हम मुक्ति के हकदार बनते हैं; इसके विपरीत यदि हम ईश्वर के प्रेम का बहिष्कार करते हैं तो हम ख़ुद अपना बहिष्कार करते क्योंकि ईश्वर हमारा अहित नहीं चाहते वे तो केवल प्रेम करते तथा हमारा उद्धार चाहते हैं।"
लेबनान के युवाओं द्वारा लिखे क्रूस मार्ग के चिन्तन के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्तीयों का दायित्व है कि वे बुराई का प्रत्युत्तर भलाई से दें, क्रूस को उसी तरह वे अपने ऊपर लें जैसे प्रभु येसु ख्रीस्त ने किया था। आज सन्ध्या हमने लेबनान के हमारे भाइयों एवं बहनों द्वारा दिये साक्ष्य को सुना, हमने उन सुन्दर प्रार्थनाओं और चिन्तनों में भाग लिया जिनकी रचना उन्होंने की थी। अपने इन भाइयों एवं बहनों के साक्ष्य एवं प्रार्थनाओं के लिये हम तह दिल से आभार व्यक्त करते हैं। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की लेबनान प्रेरितिक यात्रा में हमने इसका साक्षात्कार किया थाः हमने उस भूमि में ख्रीस्तीयों के बीच विद्यमान सहभागिता के सौन्दर्य के दर्शन किये तथा मुसलमान भाइयों एवं बहनों तथा अन्यों के साथ मैत्री का दीदार किया। वह अवसर मध्यपूर्व के लिये तथा सम्पूर्ण विश्व के लिये एक चिन्ह था, आशा का एक चिन्ह।"
पवित्र क्रूस मार्ग की धर्मविधि का समापन कर उपस्थित तीर्थयात्रियों से सन्त पापा फ्राँसिस ने अनुरोध किया कि वे कोलोस्सेऊण ऐतिहासिक स्मारक पर सम्पन्न क्रूस मार्ग को अपने दैनिक जीवन में जारी रखें। उन्होंने कहा, "प्रेम एवं क्षमा के शब्दों को अपने हृदय में धारण कर हम सब एक साथ मिलकर क्रूस के मार्ग पर चलें। हमसे प्यार करनेवाले, प्रेम से परिपूर्ण, येसु के पुनरुत्थान की बाट जोहते हुए हम निरन्तर आगे बढ़ते रहें।।"








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