2013-03-21 13:54:00

संत पापा फ्राँसिस के सम्मान में यूखरिस्तीय बलिदान


व्योनेस आइरेस,अर्जेन्टीना, वृहस्पतिवार 21 मार्च, 2013 (सीएनए) अर्जेन्टीना में वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष इमिल पौल शेरिग ने नये संत पापा फ्राँसिस के लिये 17 मार्च रविवार को एक विशेष मिस्सा पूजा का आयोजिन किया और संत पापा के नये मिशन की सफलता के लिये प्रार्थनायें की।
यूखरिस्तीय समारोह में हिस्सा लेनेवाले बड़ी तादाद में उपस्थित लोगों ने फादर और कार्डिनल बेरगोलियो अर्थात् वर्तमान संत पापा फ्राँसिस के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जिन्होंने वर्षों तक अर्जेन्टीना की सेवा पूरे समर्पण के साथ किया।
महाधर्माध्यक्ष और प्रेरितिक राजदूत ने अपने प्रवचन में कहा कि वे ईश्वर को संत पापा फ्राँसिस के लिये धन्यवाद देते हैं क्योंकि वे कलीसिया के लिये एक महान वरदान हैं।
प्रेरितिक नूनसियो ने कहा कि उन्होंने संत फ्राँसिस को एक कार्डिनल रूप में कार्य करते हुए करीब से देखा है। वे उनकी सादगी, नम्रता और न्यायप्रियता की तारीफ़ करते हैं। वे महान् हैं वे आम लोगों के समीप हैं और उनका आध्यात्मिक प्रेम और उनकी प्रज्ञा अनुकरणीय है।
महाधर्माध्यक्ष ने लोगों को संत पापा फ्राँसिस के उस बात की याद दिलायी जिसमें उन्होंने अपने पहले आमदर्शन में नम्रता का दुर्लभ उदाहरण देते हुए प्रार्थना की याचना करते हुए अपने सर झुका लिये थे। संत पापा दुनिया के आम लोगों की प्रार्थना के सहारे ईश्वरीय कृपा पाना चाहते हैं।
महाधर्माध्यक्ष शेरिग ने कहा कि जब-जब ईश्वर हमें एक नया संत पापा देते हैं हमें एक नयी कलीसिया बनाते हैं और चाहते है कि हम एक तीर्थयात्री रूप में उस मंजिल की ओर आगे बढ़ें जो दुनियावी नहीं है। उन्होंने कहा कि संत पापा फ्राँसिस चाहते हैं कि हम ईश्वर की उपस्थिति में अपना जीवन जीयें।
वाटिकन राजदूत ने लोगों को याद दिलाया कि यदि हम येसु मसीह की घोषणा नहीं करते हैं तो हम एक स्वयंसेवी संगठन मात्र बनकर रह जायेंगे।
उन्होंने संत पापा फ्राँसिस द्वारा लिखी उन पंक्तियों को पढ़कर सुनाया जिसे उन्होंने अपने पुरोहिताभिषेक के पूर्व लिखा था।
वे लिखते हैं, "मैं अपने व्यक्तिगत जीवन के इतिहास पर विश्वास करता हूँ जो येसु मसीह की नज़रों में है और मैं प्रत्येक दिन कुछ आश्चर्यों का इंतज़ार करता हूँ जो प्रेम, बल, प्रलोभन और क्षमा रूप में मेरे पास आते हैं और मेरा साथ देते हैं और तबतक साथ देंगे जब तक मैं उनके पास न पहुँच जाऊँ और उनके चेहरे को न देखूँ।"








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