वाटिकन सिटीः अपनी परमाध्यक्षीय प्रेरिताई के पहले दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने कलीसियाई
नेताओं को उनकी ज़िम्मेदारी का कराया स्मरण
वाटिकन सिटी, 15 मार्च सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार, 14 मार्च को
वाटिकन स्थित सिस्टीन प्रार्थनालय में विश्व के कार्डिनलों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित
कर कलीसियाई नेताओं को उनकी ज़िम्मेदारी का स्मरण दिलाया। सन्त पापा फ्राँसिस ने
कार्डिनलों से कहा कि वे ख्रीस्त में आगे बढ़ते हुए कलीसिया का निर्माण करें तथा अपने
जीवन द्वारा क्रूसित प्रभु येसु ख्रीस्त के साक्षी बनें। उन्होंने कहा, "जब व्यक्ति येसु
ख्रीस्त में अपने विश्वास की अभिव्यक्ति नहीं करता तब वह शैतान की सांसारिकता में भरोसा
रखता है। जब हम क्रूस के बिना जीवन यापन करते हैं, जब क्रूस के बिना निर्माण करते हैं
तथा यदि हम क्रूस के बिना ख्रीस्त में विश्वास का दावा करते हैं तो हम प्रभु ख्रीस्त
के शिष्य नहीं हैं। हम सांसारिक लोग हैं, हम धर्माध्यक्ष हैं, पुरोहित हैं, कार्डिनल
हैं, पोप हैं किन्तु प्रभु येसु ख्रीस्त के शिष्य कदापि नहीं हैं।" कलीसिया को गतिशील
होना चाहिये गुरुवार अपरान्ह सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के उसी सिस्टीन प्रार्थनालय
में ख्रीस्तयाग अर्पित कर प्रवचन किया जहाँ एक दिन पूर्व वे काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष
नियुक्त किये गये थे। शताब्दियों से चली आ रही सन्त पापाओं की परम्परा को भंग करते हुए
उन्होंने लैटिन भाषा के बजाय सरल इताली भाषा में प्रवचन किया। ख्रीस्तयाग के लिये चुने
गये बाईबिल धर्मग्रन्थ के पाठों पर चिन्तन करते हुए उन्होंने कहा कि कलीसिया को गतिशील
होना चाहिये। ख्रीस्तयाग के दौरान ईश राज्य के आगमन सम्बन्धी नबी इसायाह के पाठ,
येसु को जीवन्त पत्थर बतानेवाले सन्त पेत्रुस के प्रथम पत्र से लिये गये पाठ तथा येसु
द्वारा पेत्रुस से कहे शब्द कि "तुम चट्टान हो और इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया का निर्माण
करूँगा" पाठों का श्रवण किया गया। इन बाईबिल पाठों पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस
ने कहा, "इन पाठों में मैं कुछ सामान्यता देखता हूँ: और वह है गतिशालता। पहले पाठ में
यात्रा की गतिकता है; दूसरे पाठ में गतिकता, कलीसिया के निर्माण में है जबकि तीसरे पाठ
में गतिकता विश्वास करने में हैः विश्वास करते हुए आगे बढ़ते रहना, विश्वास द्वारा निर्माण
करना तथा विश्वास की अभिव्यक्ति करना।" कलीसिया के निर्माण के लिये विश्वास
में आगे बढ़ते रहना ज़रूरी आसान इताली भाषा में किये अपने 10 मिनटों वाले प्रवचन में
सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व के सभी काथलिक धर्मानुयायियों का आह्वान किया कि वे कलीसिया
के नवनिर्माण में योगदान देने के लिये विश्वास में आगे बढ़ें। काथलिक पुरोहितों से उन्होंने
अनुरोध किया कि वे अपने अपने कलीसियाई समुदायों का निर्माण सुदृढ़ नींव पर करें अन्यथा,
उन्होंने कहा, ..........."हम जितना चाहें चल सकते हैं, हम बहुत कुछ का निर्माण कर सकते
हैं किन्तु यदि हम येसु ख्रीस्त को स्वीकार कर उनमें अपना विश्वास नहीं प्रकट करते तो
हम कुछ भी उपलब्ध नहीं कर पायेंगे। हम एक गड्ढेदार ग़ैरसरकारी संस्था बनकर रह जायेंगे,
कलीसिया नहीं, प्रभु की वधु नहीं। जब व्यक्ति आगे नहीं बढ़ता है तो वह थम जाता है।" उन्होंने
प्रश्न किया, "क्या होता है जब बच्चे समुद्रतट पर रेत के घर बनाते हैं? सब धराशायी हो
जाता है।" उन्होंने कहा........ "पेत्रुस जिन्होंने प्रभु येसु ख्रीस्त को स्वीकार
कर उनमें अपने विश्वास की अभिव्यक्ति की थी वे ही कहते हैं, "आप ख्रीस्त हैं, जीवन्त
ईश्वर के पुत्र। मैं आपका अनुसरण करूँगा किन्तु क्रूस के बारे में कुछ भी मत कहिये।"
क्रूस के बिना येसु का अनुसरण असम्भव क्रूस के बिना प्रभु येसु का अनुसरण नहीं
किया जा सकता इस तथ्य पर बल देते हुए सन्त पापा ने कहा, "जब हम क्रूस के बिना आगे बढ़ने
की चेष्टा करते हैं तथा क्रूस के बिना ख्रीस्त के प्रचार का प्रयास करते हैं तो हम प्रभु
ख्रीस्त के शिष्य नहीं हैं।" प्रवचन समाप्त करने से पूर्व सन्त पापा ने कहा,........
"मैं चाहूँगा कि कृपा में व्यतीत इन दिनों के बाद हम सब को प्रभु की उपस्थित में, प्रभु
के क्रूस के साथ साथ चलने का नवीकृत साहस मिलेः प्रभु येसु द्वारा क्रूस पर बहाये रक्त
की नींव पर हम कलीसिया का निर्माण करें तथा क्रूसित ख्रीस्त में विश्वास प्रकट करें।
इस प्रकार कलीसिया अगे बढ़ सकेगी। मेरी मंगल आशा है कि पवित्रआत्मा तथा माँ मरियम से
की गई प्रार्थना द्वारा हमें यह कृपा प्राप्त हो कि हम येसु ख्रीस्त में विश्वास की अभिव्यक्ति
करते हुए निरन्तर आगे बढ़ते रहें।"
सन्त पापा फ्राँसिस की सरल जीवन शैली सन्त
पापा फ्राँसिस ने अपनी परमाध्यक्षीय प्रेरिताई के पहले दिन ही विश्व को अपनी सरलता और
अपनी सादगी का परिचय दे दिया। अपनी नियुक्ति के 12 घण्टों बाद ही विश्व के 1.2 अरब काथलिक
धर्मानुयायियों के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के सन्त मर्था आवास से अपनी
समान ख़ुद उठाया, कर्मचारियों से व्यक्तिगत मुलाकात कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया तथा
स्वतः अपने बिल का भी भुगतान किया। वास्तव में, सन्त पापा फ्राँसिस की यह सादगी और यह
विनम्रता असाधारण एवं अभूतपूर्व है। आर्जेनटीना के मेषपाल रूप में कार्डिनल जॉर्ज
मारियो बेरगोलियो की जीवन शैली अत्यधिक सरल एवं साधारण थी। वे सार्वजनिक बसों पर यात्रा
करते थे। विदेश यात्राओं के लिये भी इकोनोमी क्लास का टिकट ख़रीदते थे, एड्स रोगियों
के संग रहते थे, पूर्व वेश्याओं के साथ प्रार्थना किया करते थे तथा सांसारिक भोग विलास
की परछाई भी स्वतः पर पड़ने नहीं देते थे। किन्तु, अब वे काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष
सन्त पापा फ्राँसिस हैं, नवीन विश्व के पहले सन्त पापा, येसु धर्मसमाज के पहले सन्त पापा।